बसपा सत्ता की लालची है- ब्रजेश पाठक

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आज बड़ी ही मार्मिक पोस्ट लिखी बसपा के पूर्व सदस्य ब्रजेश पाठक ने। गौरतलब है कि ब्रजेश पाठक ने हाल ही में बसपा की सदस्यता को त्याग कर भाजपा  की सदस्यता ली है। वे बसपा के एक ब्राम्हण चेहरे के रूप में जाने जाते रहे हैं। कल वो सदस्यता लेने के बाद प्रथम बार लखनऊ आ रहे हैं।

उन्होंने अपनी शोशल साइट पर लिखा कि

बहुत से मित्रो के लगातार यह प्रश्न आ रहे हैं कि मैंने बसपा छोड़ का भाजपा क्यों ज्वाइन की। मित्रो यहाँ प्रश्न विचारधारा का है । मैं पूर्व की पार्टी में इसलिए जुड़ा था कि तब तक यह पार्टी सर्व जन हिताय की बात करती रही। परन्तु मैंने इस विषय को महसूस किया कि स्वसमाज इस पार्टी के लिए सिर्फ एक उपयोग की विषय वस्तु हो गया था। यह पार्टी अब सिर्फ और सिर्फ सत्ता सुख के लिए अग्रसर है। ऐसे में मुझे इससे अलग होना ही था।अब अगर सर्वजन हिताय की बात कहीं की जाती परंतु वर्गीकृत करके समुदायों का इस्तेमाल किया जाता हो तो यह तो बिलकुल अनुचित है। इसीलिए मुझे यह सब बिलकुल अच्छा नहीं लगा और मैंने इस पार्टी को त्याग दिया। जहाँ तक भाजपा से जुड़ने का सवाल है तो तो जनमानस के मन में यह तो स्वीकारयोग्य विषय होगा ही कि राष्ट्र की प्रगति एवं सर्वधर्म समभाव की भावना से प्रेरित है भारतीय जनता पार्टी। राष्ट्र के नवनिर्माण में भाजपा का अतुल्य योगदान हो रहा है। इसीलिए यदि मैं सेवक हूँ इस जनता का तो मुझे जनता के हित के लिए इस पार्टी से जुड़ना ही था।

पर मित्रो यह ध्यान रखना ही होगा की मैंने पार्टी बदली है पर अपनी भावना नहीं और मेरी भावना सिर्फ और सिर्फ आपकी सेवा की है।”

अब देखना यह होगा की पाठक जी के कथनी और करनी में कोई अंतर होता है कि नहीं।

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