गुलाब की सूखी पत्तियां बेच कर रहे कमाई

0
98

लॉकडाउन में फूलों की खपत में अचानक गिरावट आ गई। सैकड़ों बीघा खेती पर असर पड़ा तो तुरंत ही इस विपदा से निपटने की जुगत भिड़ाई। फूलों की रोजाना तुड़ाई जारी रखी और इन्हें धूप में सुखाना शुरू कर दिया। इस कवायद में प्रवासी श्रमिकों का भला हुआ।
पूरे गांव में 40 से ज्यादा प्रवासियों को रोजगार भी मिला। मार्च से मई तक फूलों की तुड़ाई कर पत्तियों व डंठल को अलग कर सुखाया गया। इन तीन महीनों में हर किसान ने एक से पांच कुंतल तक गुलाब की सूखी पत्तियां जमा कर लीं। अब ये सूखी पत्तियां तीन सौ रुपये किलो और डंठल 20 रुपये किलो तक बिक रही है।
इन्हें खरीद रहे हैं कॉस्मेटिक, अगरबत्ती और इत्र आदि बनाने वाले कारोबारी। बिधनू-मझावन मार्ग पर पांच किलोमीटर चलने के बाद बाईं तरफ मुड़ने पर तीन किलोमीटर आगे भारू गांव मिलता है। हम यहां तलाशने गए थे कुछ और लेकिन किसानों से बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ तो फूलों की पत्तियों के जरिये कमाई का फंडा पता चला।
वे खुद ही बोल पड़े। बीते चार महीने बाजार क्या बंद रहे, लोगों ने फूलों की खेती से तौबा करना शुरू कर दिया। भारू के किसानों ने ऐसा नहीं किया। यहां हर किसान अपनी फसल को दोहराने को तैयार है। चूंकि इस गांव के किसानों को फूलों की खेती के साथ उसके रखरखाव का ज्ञान है, इस वजह से गुलाब उगाने वाले 90 फीसदी किसानों का बहुत अधिक नुकसान नहीं हो पाया। बेरोजगारी के दौर में लोगों को काम अलग से मिला।
यहां के किसानों ने फूलों की खेती में दिलचस्पी का कारण भी बताया। बोले- दो किलो गुलाब तोड़ लिया और बाजार चले गए तो 200 रुपये सीधे। इतने में हफ्ते भर की सब्जी आ गई कि नहीं? फूलों की खेती से किसान को बड़ा लाभ तो होता ही है, छोटे किसानों के रोजमर्रा के खर्चे भी पूरे होते रहते हैं। इस गांव के किसान कोई अन्य फसल भी उगाते हैं तो खेत के खाली स्थानों व मेढ़ों के किनारे भी फूलों के पौधे लगा देते हैं। ये पौधे हफ्ते भर का खर्चा दे जाते हैं।

Comments

comments

share it...