भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुलाई बैठक सिंधु के पानी को तरसेगा पाक! समझौते की होगी समीक्षा…

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​पाकिस्तान की नापाक हरकतों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत हर विकल्प पर विचार कर रहा है. भारत सिंधु नदी के पानी की समीक्षा कर सकता है. इसके लिए पीएम मोदी ने सोमवार को जल संसाधन और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों की बैठक बुलाई है. बैठक में इस समझौते के फायदे-नुकसान पर चर्चा की जाएगी.

विशेषज्ञों की राय- तुरंत समझौता रद्द करे भारत

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने जिस तरह सिंधु जल समझौता रद्द करने के संकेत दिए विशेषज्ञों से लेकर राजनीतिक गलियारों तक ने इस बयान का स्वागत किया, क्योंकि अगर भारत ये कदम उठाता है तो पाकिस्तान के एक बड़े हिस्से के लोगों को एक-एक बूंद पानी के लिए तरसना पड़ सकता है. विदेश मामलों के जानकार ब्रह्मचेलानी का मानना है कि भारत को बिना वक्त गवाए 1960 में हुए सिंधु नदी जल समझौते को रद्द कर देना चाहिए, क्योंकि ऐसा होने पर पाकिस्तान का बड़ा इलाका रेगिस्तान में तब्दील हो जाएगा. सिंधु नदी जम्मू-कश्मीर से होकर पाकिस्तान में बहती है. भारत की ओर से सिंधु नदी जल समझौता रद्द किए जाने पर पाकिस्तान को दिया जाने वाला सिंधु नदी का पानी रोक दिया जाएगा. सिंधु नदी को पाकिस्तान की जीवन रेखा कहा जाता है. सिंधु नदी पर ही पाकिस्तान की सिंचाई व्यवस्था और खेती टिकी है.

‘आज तक’ से खास बातचीत में ब्रह्मचेलानी ने कहा कि जिस तरह चीन किसी तरह की जल संधि में यकीन नहीं करता और भारत से जुड़ती नदियों सतलुज और ब्रह्मपुत्र से मन मुताबिक पानी लेता है, उसी तरह भारत को बिना रहम बरते उस पाकिस्तान के साथ संधि तोड़ लेनी चाहिए, जो सालों से बिना रुके भारत के साथ प्रॉक्सी युद्ध लड़ रहा है.

रावी और झेलम का पानी भी रोका जाएगा!

गौरतलब है कि 1948 में दोनों देशों का बंटवारा होने के कुछ महीने बाद ही भारत ने सिंधु नदी का पानी रोक दिया था. इसके लिए पाकिस्तान को 1953-1960 तक मेहनत करनी पड़ी. पाकिस्तान के सालों तक गिड़गिड़ाने के बाद 19 सितंबर 1960 को भारत के साथ सिंधु नदी जल समझौता हुआ. तब से अब तक पाकिस्तान इस पानी को धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहा है. पाकिस्तान के लिए इससे भी बड़ी चिंता की बात यह है कि रावी और झेलम नदियां भी भारत से होकर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में जाती हैं. अगर सिंधु नदी जल समझौता रद्द हुआ तो रावी और झेलम नदियों का पानी भी रोका जा सकता है. ऐसा होने से पाकिस्तान की कृषि व्यवस्‍था चौपट हो जाएगी.

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