संगम पर सूखी गंगा,

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गर्मी शुरू होते ही संगमनगरी में गंगा की धारा कई जगह सिमट गई है। माघ मेला के महज महीने भर बाद जलधारा सूखने से फाफामऊ से अरैल के बीच रेत के टीले उभर आए हैं। संगम पर डुबकी लगाने और आचमन करने लायक भी जल नहीं रह गया है। इससे श्रद्धालुओं,तीर्थपुरोहितों, संतों की चिंता बढ़ गई है। तटवर्ती इलाकों में रेत पर उगाई जाने वाली जायद की फसलों की सिंचाई का भी संकट पैदा हो गया है। साथ ही भूजल स्तर खिसकने की आशंका बढ़ गई है। कहा जा रहा है कि अगर समय रहते न्यूनतम प्रवाह को लेकर सरकारों ने नहीं चेता तो आने वाले समय में तीर्थनगरी में संकट बढ़ने से इंकार नहीं किया जा सकता।

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