सड़क किनारे सिम खरीदा तो खाली हो सकता है आपका बैंक अकाउंट

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साइबर क्राइम सेल के एसीपी विवेक रंजन राय के मुताबिक, फरवरी में चिनहट थाने में एक युवती से नौकरी के नाम पर ठगी हुई। ठगी करने वालों ने शाइनडॉटकॉम नाम से ऑनलाइन कंपनी बनाकर नौकरी दिलाने का झांसा दिया। पहले तो ठगों ने युवती से रजिस्ट्रेशन कराया फिर पेमेंट के लिए उसके मोबाइल पर फोन-पे का लिंक भेजा। युवती के इस लिंक पर क्लिक करते ही उसके यूनियन बैंक के खाते से 10,799 रुपये निकल गए। मुकदमा दर्ज कर साइबर क्राइम टीम ने जांच शुरू की। टीम ने आलमबाग से हरदोई के बालामऊ निवासी गोपाल मौर्या और उरई के इंदिरानगर कुइया निवासी भरत शर्मा को गिरफ्तार किया। दोनाें आलमबाग के सुंदरनगर में किराए पर रहते थे।
एसीपी के मुताबिक, जालसाजों के पास बीएसएनल व वोडाफोन कंपनी के सिम के एक्टिवेशन की अथॉरिटी है। कंपनी में सिम का दाम 30 रुपये है और दुकानों पर यह 50 रुपये में बेचा जाता है। लेकिन ये ठग ग्रामीण व नई कॉलोनियों में सड़क किनारे कैनोपी लगाकर ये सिम 10 से 20 रुपये में बेचते थे। जालसाज झांसा देकर लोगों के दस्तावेजों की फोटो कई बार खींच लेते थे। इसके बाद असली दस्तावेजों के जरिए तीन से चार सिम एक्टिव करते थे। फिर सिम के जरिए फोन पे, गूगल पे और मोबिक्विक वॉलेट एक्टिव करते थे। इस्तेमाल के बाद सिम एनसीआर में चलने वाले साइबर ठगी के कॉल सेंटर को बेच देते थे। पूछताछ में ठगों ने कुबूला कि एक इलाके में 40 से 70 सिम बेचने के बाद दूसरे इलाके में चले जाते थे। एक या दो लोगों को ठगने के बाद सिम बंद कर देते थे।

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