बोर्डिंग पास की जरूरत नहीं, चेहरे से होगी यात्री की पहचान

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पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसे वाराणसी एयरपोर्ट पर शुरू किया गया था, जिसके बाद इसे अमौसी में भी लगाने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।
चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट उत्तर भारत के प्रमुख एयरपोर्टों में शामिल है। एयरपोर्ट के नए टर्मिनल टी थ्री के बन जाने के बाद यात्रियों की संख्या भी तेजी से बढ़ेगी।

इसी क्रम में यात्रियों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए एयरपोर्ट प्रशासन कई तरह की सहूलियतें दे रहा है।
एयरपोर्ट प्रशासन ने बताया कि अब सिर्फ चेहरा देखकर ही एयरपोर्ट में चेक इन के लिए प्रवेश मिल जाएगा। बंगलूरू, हैदराबाद सहित पांच एयरपोर्टों पर इस तकनीक का प्रयोग हो रहा है।
सूत्र बताते हैं कि अमौसी एयरपोर्ट पर यह व्यवस्था वाराणसी एयरपोर्ट के साथ-साथ शुरू होनी थी, लेकिन तकनीकी पेंच फंसने की वजह से ऐसा नहीं हो पाया था।
एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया एएआई की ‘डिजी यात्रा योजना’ बनाई गई थी, जिसके अंतर्गत यह सिस्टम शुरू किया जाना है। वाराणसी एयरपोर्ट पर इस सिस्टम का अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है।
यह प्लान स्वेच्छा के आधार पर लागू है, जिसका स्पष्ट मतलब यह है कि यात्रियों की मांग पर ही उन्हें यह सुविधा दी जाएगी।
फेस रिकग्निशन सिस्टम से होने वाले फायदों का अभी आंकलन चल रहा है। साथ ही यात्रियों का फीडबैक भी लिया जा रहा है, जिसकी रिपोर्ट एएआई को भेजी जाएगी।
ऐसे काम करता है सिस्टम
फेस रिकग्निशन सिस्टम का लाभ लेने वाले यात्रियों को अपनी पहली यात्रा के दौरान आधार नंबर, पैन या दूसरी आईडी के साथ रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इससे उनकी डिटेल सुरक्षित हो जाएगी। इसके बाद जब यात्री हवाई यात्रा के लिए टिकट बुक कराएंगे तो उससे जुड़ी जानकारी एयरपोर्ट प्रशासन तक भी पहुंच जाएगी। इसके बाद जब यात्री फ्लाइट डिपार्चर वाले दिन एयरपोर्ट पहुंचेंगे तो ‘हाई डेफि निशन फेस रिकग्निशन’ सिस्टम यात्री के चेहरे को स्कैन करेगा और यात्री की आईडी से पहचान होने पर उन्हें आगे जाने दिया जाएगा। सीआईएसएफ स्टाफ को बोर्डिंग पास व आईडी नहीं दिखानी होगी।

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