रूस पर सीधे हमले से यूरोपीय देश पीछे हट रहे हैं। इसका प्रमुख कारण है, इन देशों की रूस पर निर्भरता। दरअसल, यूरोपीय देश ऊर्जा के लिए बहुत हद तक रूस पर निर्भर हैं। यूरोपीय संघ के कई देश, जो नाटो सदस्य भी हैं अपनी प्राकृतिक गैस आपूर्ति का 40 फीसदी हिस्सा रूस से प्राप्त करते हैं। ऐसे में अगर रूस गैस और कच्चे तेल की सप्लाई रोक देता है, तो यूरोप बड़े ऊर्जा संकट की कगार पर खड़ा हो जाएगा। बिजली व पेट्रोलियम उत्पादों पर महंगाई कमर तोड़ सकती है। यह बात सभी देश जानते हैं। इसलिए यूरोपीय देश सीधे तौर पर रूस से टकराने से हिचक रहे हैं।