हिमाचल प्रदेश में किसी जवान की शहादत के बाद ऐसी अंतिम विदाई पहली बार देखी गई। गांव में शहीद अंकेश की पार्थिव देह पहुंचने पर पटाखों और आतिशबाजी से स्वागत किया गया। 10 किमी तक क्षेत्र में लोगों ने फूलों की बारिश की। लोगों की आंखों में आंसू कम और गर्व ज्यादा दिख रहा था। सेऊ गांव की गलियां, सड़क और घरों की छतें लोगों से भर गईं। करीब 15 हजार लोग अंतिम संस्कार के लिए जुड़ गए। बच्चे तिरंग लेकर खड़े रहे। युवाओं ने तिरंगा यात्रा के साथ जोरदार स्वागत किया तो महिला-पुरुषों, बुजुर्गों और बच्चों ने फूलों की बारिश कर श्रद्धांजलि दी। तरघेल से शहीद के घर तक जगह-जगह फूलों की बारिश कर शहीद का स्वागत किया। पहली बार किसी शहीद को खुली जीप में शमशानघाट तक लेकर गए।
पिता ने संस्कार से पहले अपने अविवाहित बेटे के साथ शादी से जुड़ी रस्में निभाईं। अंकेश के माता-पिता ने बेटे की पार्थिव देह को आंगन में रखकर दूल्हे की तरह सजाया। मां ने शहीद बेटे को सेहरा लगाया। नोटों का हार गले में पहनाकर गालों को प्यार से सहलाया।
आंखों से आंसू तक नहीं निकाले। एकटक बेटे को निहारती रही। पार्थिव देह बैंड-बाजे के साथ मुक्ति धाम तक पहुंचाई गई। प्रदेश सरकार की तरफ से खाद्य आपूर्ति मंत्री राजेंद्र गर्ग ने शहीद को श्रद्धांजलि दी। इसके अलावा जिलाधीश, पुलिस अधीक्षक, एसडीएम, डीएसपी सहित सेना के अधिकारियों ने सलामी दी।
शहीद के पिता का हौसला भी देखते ही बनता था। बेटे को हमेशा के लिए खो देने के दर्द के बाद भी शहीद के पिता बांचा राम बेटे की पार्थिव देह लेने के लिए कोट-पेंट टाई और सिर पर पगड़ी पहनकर पहुंचे। आंखों में आंसू तो थे, लेकिन हजारों की भीड़ देखकर बेटे पर गर्व भी था।