इस पोस्ट को बच्चों से जरूर साझा कीजियेगा।

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​आज की पोस्ट खास तौर पर आपके लिए ही है। पर आज पोस्ट को पढ़ने के बाद आप अपने बच्चों से इसे साझा कीजिएगा। उन्हें अपने पास बिठा कर इस कहानी को ज़रूर सुनाइएगा, जिसे कल मेरे बड़े भाई Pavan Chaturvedi ने मुझसे साझा किया। 

इस कहानी को आप चाहे कितनी बार भी सुन चुके हों, अपने बच्चों को सुना चुके हों, पर इसे फिर से सुनना चाहिए, अपने बच्चों से साझा करना चाहिए। 

मैं कहानी आपको सुनाऊंगा, साथ ही आपको आज बहुत शानदार टिप भी दूंगा कि कोई कैसे अमीर बनता है, कैसे किसी के पास लक्ष्मी टिकती हैं।

सारी बातें आज ही करूंगा, लेकिन पहले आपको बता दूं कि मथुरा से अपने फेसबुक के बड़े भाई ने कल मुझे फोन किया कि वो मुझसे मिलने दिल्ली आ रहे हैं। 

क्या कमाल की बात थी। कुंआ प्यासे के पास चल कर आ रहा था। 

मैंने पत्नी को बताया कि पवन भैया मिलने आ रहे हैं, वो खुश हो गई। फटाफट रसोई में घुस गई। पवन भैया बिना प्याज-लहसुन के खाना खाते हैं, एकदम सात्विक। मतलब आज खाना कोई और नहीं बनाएगा, आज खाना वो खुद बनाएगी। 

रसोई से खाने की खुशबू आने लगी। 

शाम पांच बजे दरवाजे की घंटी बजी, सामने अपने बड़े भाई और भाभी और उनकी होने वाली बहू खड़े थे।

अब सोचिए, पांच बजे से रात के ग्यारह कब बजे, पता ही नहीं चला। भैया एक के बाद एक कहानियां सुना रहे थे। मछली की कहानी, चिड़िया की कहानी, अमीर बनने के नुस्खे। और ढेरों कहानियां। 

मतलब कल मेरे हाथ कुबेर का ख़जाना ही लग गया। 

मैं जानता हूं कि अब आप कहेंगे कि संजय सिन्हा, प्लीज़ फटाफट उस कहानी को शुरू कर दीजिए जिसे बच्चों को सुनाना है। फिर आपको अमीर बनने वाली टिप भी देनी है। आज कोई बहाना नहीं चलेगा, पूरी बात बतानी ही होगी। 

तो मेरे प्यारे परिजनों, शुरू करता हूं आज की कहानी, वो भी बिना भूमिका के।

एक बार जंगल में आग लग गई। सारे जानवर त्राहिमाम कर उठे। एक-एक कर सारे पेड़ झुलसने लगे। पेड़ों पर चिड़ियों के घोंसले जलने लगे। किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए। 

तभी एक चिड़िया उड़ी और पास के झरने से अपनी चोंच में पानी भर कर लाई। उसने आग पर उसे छिड़क दिया। इतनी तेज़ आग, और चिड़िया की चोंच में बूंद भर पानी, भला इससे क्या होना था। 

चिड़िया बार-बार पानी लाती और आग पर छिड़कती। 

सारे जानवर उस चिड़िया पर हंस रहे थे। 

“अरी चिड़िया रानी, तुम्हारी इस कोशिश से कुछ भी नहीं होने वाला। आग रत्ती भर नहीं बुझने वाली।”

पर चिड़िया नहीं मानी। वो अपनी कोशिश करती रही। 

आख़िर, चिड़िया थक कर बैठ गई। बाकी जानवर और पक्षी उसके पास आए और मज़ाक उड़ाने लगे। कहने लगे कि बड़ा चली थी आग बुझाने। क्या हुआ? 

चिड़िया ने बहुत धीरे से कहा, “मुझे भी पता था कि अकेले मेरी कोशिश से आग नहीं बुझने वाली। मैं जानती थी कि आग पर मेरी कोशिशों का रत्ती भर असर नहीं पड़ने वाला। लेकिन जब कभी इस संसार में जंगल की इस आग की कहानी कोई सुनाएगा, तो मेरा नाम आग बुझाने की कोशिश करने वालों में शामिल होगा, सिर्फ तमाशबीन खड़े रहने वालों में नहीं होगा। और जो लोग तमाशबीन खड़े रहे, अगर उन्होंने भी मेरा साथ दिया होता, तो शायद आग की आंच कुछ तो कम होती ही।”


कहानी सुना कर पवन भैया ने अपनी आंखें पोछीं। 

मैं हतप्रभ बैठा रहा। कितने कम में कितनी बड़ी बात पूरी कर दी थी उन्होंने। हमारी कोशिशें नाकाम रहें, तो भी हमें अपनी कोशिश नहीं छोड़नी चाहिए। हमारा प्रयास असफल रहे, पर हम अगर तमाशबीन रहेंगे, तो हमें हक नहीं होगा किसी भी परिस्थिति पर आंसू बहाने का।

खैर, ये वाली कहानी मैंने आज आपको इसलिए सुनाई है ताकि आप इसे अपने बच्चों को सुनाएं। उनसे साझा करें। 

पर अब जो बात पवन भैया के मुंह से सुन कर मैं आपके सामने रख रहा हूं, उसे बहुत बारीक ढंग से समझने की ज़रूरत है, लोगों से साझा करने की ज़रुरत है। यह है अमीर बनने का नुस्खा। 

पवन भैया बता रहे थे कि अमीर बनने और बने रहने की यह रेसेपी उनके पिताजी ने उन्हें बताई थी। 

लक्ष्मी चंचल होती हैं, सब जानते हैं। उनके चंचल होने की न जाने कितनी कहानियां हम सबने सुनी हैं। पर भैया बता रहे थे कि लक्ष्मी आए चाहे जितनीं, पर वो दो ही तरीके को लोगों के पास टिकती हैं।  

एक तो, जो आदमी चरित्रवान होता है, और दूसरे वो जो लंगर लगाना जानता है। 

अब आप चाहें तो इन दोनों पंक्तियों को अपने-अपने ढंग से परिभाषित कर सकते हैं। 

मैं तो इतना ही कह सकता हूं कि जिसका चरित्र ठीक नहीं होगा, उसके पास अकूत धन भी होगा तो वो उसका नाश कर लेगा। जो सात्विक विचारों का होगा, उसके पास तो लक्ष्मी टिकेंगी ही। 

और लंगर से क्या मतलब है, ऐसा मैंने भैया से पूछा। 

भैया ने बताया कि लंगर का अर्थ होता है, वो अंकुश जिससे बड़े-बड़े जहाज समंदर की लहरों पर थम जाते हैं। 

जो लोग अचल संपति में निवेश करते हैं, वो लक्ष्मी को कुछ देर के लिए अपने पास रोक लेते हैं। 

ये तो भैया ने बताया। पर मैंने मन ही मन यह भी सोच लिया था कि जो लोग लंगर लगाते हैं, यानी लोगों को मंदिरों में, गुरुद्वारों में खाना खिलाते हैं, उनके पास भी लक्ष्मी रुक जाती हैं। 

दोनों बातों पर मैंने बहुत सोचा। सोच कर मैं इस नतीज़े पर पहुंच गया हूं कि चाहे जो हो, मैं चिड़िया की तरह अपनी कोशिश करुंगा। मैं तमाशबीनों की सूची में अपना नाम नहीं दर्ज कराने वाला। और मैं लक्ष्मी को रोकूंगा, अपने चरित्र के सभी अवगुणों को दूर करके।

Wrote by – Sanjay Sinha

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