उत्तराखंड त्रासदी के लिए चीन जिम्मेदार, पद्मश्री व JNU के पूर्व प्रोफेसर डॉ. इकबाल हसनैन ने लगाए गंभीर आरोप

0
62

पद्मश्री से सम्मानित एवं ग्लेशियोलाजी, स्कूल आफ इंवायरमेंट साइंसेज जवाहर लाल यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर डॉ. इकबाल हसनैन ने उत्तराखंड त्रासदी के लिए चीनी क्षेत्र से कार्बन के अत्यधिक उत्सर्जन को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि हिमालय भारत और चीन के बीच है, दोनों देशों में कोयले का प्रयोग अधिक हो रहा है। कार्बन उत्सर्जन से ग्लेशियर पिघलकर सिकुड़ रहे हैं तथा झीलें अधिक बन रही हैं। आशंका जताई कि दक्षिण मुहाना पहाड़ होने के कारण मलबे के दबाव के चलते कोई झील फटी है, जिस कारण उत्तराखंड में इस तरह की त्रासदी आई है।

कालीकट विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और जामिया मिल्लिया हमदर्द विश्वविद्यालय-दिल्ली के प्रति-कुलपति एवं मुजफ्फरनगर जिले के चित्तौड़ा गांव निवासी डॉ. सैयद इकबाल हसनैन ने बताया कि वर्ष 2004 में एक अनुसंधान हुआ था उसमें सामने आया था कि हिमालय के उत्तराखंड क्षेत्र में 1400 से अधिक झीलें बनी हुई हैं, जिनके पानी से भारी होने या ग्लेशियर के बड़े टुकड़े टूटकर गिरने से इनके फटने की आशंका जताई गई थी। हिमालय के दूसरी ओर चीन कोयले का अत्यधिक प्रयोग कर कार्बन उत्सर्जन में बड़ी भूमिका निभा रहा है, जिस कारण ग्लेशियर लगातार पिघल रहे हैं।

प्रो. इकबाल हसनैन ने बताया कि उत्तराखंड के पहाड़ दक्षिण मुहाने हैं, जिनमें मलबा अधिक रहता है। इनके ग्लेशियर जब पिघलते हैं तो मलबे के कारण झीलों के फटने का अधिक डर रहता है। उन्होंने आशंका जताई कि शायद इस बार ऐसा ही हुआ है। प्रो. इकबाल हसनैन ने कहा कि इन हालात में इस क्षेत्र में सघन निगरानी बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि ग्लोबलवार्मिंग के चलते हिमालयन क्षेत्र का तापमान 1.6 डिग्री सेल्शियस बढ़ा हुआ है। यदि यही दो डिग्री तक पहुंचता है तो खतरा और भी बढ़ जाएगा।

Comments

comments

share it...