क्या कोरोना के पीछे अपनी नाकामी छिपा रही सरकार,

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि उनका आधा कार्यकाल कोरोना की भेंट चढ़ गया। इस दौरान विकास का काम लगभग ठप पड़ गया। सरकार की आय के साधन खत्म हो गये थे, जबकि उसकी चुनौतियां बढ़ गईं थीं। उन्होंने कहा कि अगर कोरोना जैसा गंभीर संकट न रहा होता तो वे राज्य की जनता के लिए ज्यादा काम कर पाए होते। विपक्ष ने इसे अपनी नाकामी छिपाने के लिए सरकार का बहाना बताया है। यह बात और है कि स्वयं अपने कमजोर विरोध के लिए वह भी इसी महामारी की आड़ ले रहा है।
भाजपा उत्तर प्रदेश के नेता संजय चौधरी ने कहा कि कोरोना के कारण सरकार के सामने दोहरी चुनौती सामने आई। एक तरफ तो लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह ठप पड़ गईं और सरकार की आय बंद हो गई, वहीं दूसरी तरफ कोरोना पीड़ितों के इलाज के लिए अतिरिक्त धन खर्च करना पड़ा। रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में गए करोड़ों लोग बेरोजगार हुए। उनकी घर वापसी के लिए उचित व्यवस्था करने के साथ-साथ उनके उपचार, भोजन और रोजगार की भी व्यवस्था करनी पड़ी। इस प्रकार सरकार को दोहरी चुनौती से जूझना पड़ा।हालांकि, भाजपा नेता का दावा है कि इसके बाद भी योगी आदित्यनाथ सरकार हर मोर्चे पर सफल रही। उसने न केवल लोगों के लिए इलाज, दवाइयों और अस्पतालों की व्यवस्था की, बल्कि एक करोड़ मानव श्रम दिवस उपलब्ध कराकर बेरोजगार हुए श्रमिकों को रोजगार भी उपलब्ध कराया। इस दौरान राज्य की 14 करोड़ से अधिक जनता को मुफ्त राशन उपलब्ध कराया गया, जिससे किसी के सामने भूख का संकट पैदा नहीं हुआ। यह सरकार की उपलब्धि है।

उन्होने कहा कि इस दौरान विकास के काम न रुकने देना भी एक बड़ी चुनौती थी। यही कारण है कि सरकार ने एक्सप्रेस हाईवे, मेडिकल कॉलेज, यूनिवर्सिटी बनाने से लेकर अन्य काम भी जारी रखे। इससे विकास भी हुआ और प्रदेश के लाखों युवाओं को काम भी मिला। अगर सरकार को कोरोना संकट का सामना न करना पड़ता तो वह बहुत कुछ और भी कर सकती थी।
आंदोलन को बड़ा रूप नहीं दे पाए- विपक्ष
योगी आदित्यनाथ सरकार की तरह विपक्ष का भी दावा है कि कोरोना के कारण उसे बहुत नुकसान उठाना पड़ा। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के एक शीर्ष नेता का दावा है कि उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश में अपनी जड़ें दोबारा जमाने के लिए भरपूर कोशिश कर रही है। इसके लिए प्रियंका गांधी बार-बार प्रदेश की यात्रा कर रही हैं और लोगों के मुद्दे उठा रही हैं, तो राज्य इकाई भी कोरोना, महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर लगातार जमीनी संघर्ष कर जनता के बीच अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है।              

कांग्रेस नेता के अनुसार, लेकिन इसके बाद भी कोरोना के कारण उनके प्रयासों का वह परिणाम नहीं मिल सका जितना मिलना चाहिए था। इसका बड़ा कारण रहा कि वे जब-जब आंदोलन कर माहौल बनाने की कोशिश करते, उसके बाद लॉकडाउन लग जाता। इससे पार्टी के द्वारा खड़ा किया गया पूरा माहौल खत्म हो जाता।

पहली बार जब 20 से 25 मार्च 2020 के बीच श्रमिक मुंबई-दिल्ली जैसे शहरों से पलायन करने लगे और राज्य सरकारें इन्हें इनके जीएचआर तक पहुंचाने की अपनी ज़िम्मेदारी से बचती दिखाई पड़ीं, कांग्रेस तुरंत सक्रिय हुई। उसने दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे के पास 500 से ज्यादा बसें उपलब्ध करवा दीं। इससे जनता को लगा कि कांग्रेस उनके साथ खड़ी है। वह उन्हें भोजन ही नहीं, ऑक्सीज़न और दवाइयाँ भी उपलब्ध करा रही थी।

कांग्रेस नेता के अनुसार, योगी आदित्यनाथ सरकार लोगों तक पहुंचाना तो दूर, उनकी मदद करने वाले लोगों पर ही केस दर्ज करने लगी। इससे उसकी साख गिरी, जबकि कांग्रेस एक मजबूत दल के रूप में सामने उभरी। लेकिन बाद में लॉकडाउन बढ़ जाने के कारण उसके ये प्रयास कहीं न कहीं नेपथ्य में चले गए।

इसी प्रकार उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू का राज्य सरकार के विरोध में किया गया आंदोलन, महंगाई-बेरोजगारी पर किया गया धरना-प्रदर्शन उम्मीदों के अनुसार असर नहीं छोड़ पाया। बात केवल इन आंदोलनों के असर तक ही सीमित नहीं थी। कोरोना काल के कारण कांग्रेस की कोशिशों को भी भारी नुकसान हुआ। पार्टी ने यूपी विधानसभा चुनाव के पहले 2020-21 में प्रियंका गांधी की पूरे प्रदेश भर में कई यात्राएं और विरोध-प्रदर्शन करने की रणनीति बनाई थी। लेकिन कोरोना के कारण उसे अपनी ये पूरी योजना स्थगित करनी पड़ी।

पार्टी की योजना थी कि चुनाव से पहले प्रियंका गांधी लखनऊ में स्थायी रूप से निवास करतीं, वहां रहकर योगी आदित्यनाथ सरकार की नाकामियों के विरोध में आंदोलन चलातीं और पार्टी की विचारधारा के लिए जनसमर्थन हासिल करतीं। लेकिन कोरोना के कारण प्रियंका गांधी पूरे 18 महीने लखनऊ नहीं पहुंच पाईं। नेता के मुताबिक 2022 और 2024 को ध्यान में रखते हुए पार्टी को इसका भारी नुकसान हुआ। अब वे धीरे-धीरे इस नुकसान से उबरने की कोशिश कर रहे हैं।
एक अन्य कांग्रेस नेता ने बताया कि कोरोना ने उनके प्रयासों को झटका जरूर पहुंचाया, लेकिन इसके बाद भी ऑनलाइन माध्यमों का उपयोग कर वे यथासंभव अपना प्रयास जारी रख रहे थे। स्वयं प्रियंका गांधी ने इसी कोरोना काल में विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिए पूर्वांचल में पार्टी कार्यकर्ताओं के ट्रेनिंग प्रोग्राम में शामिल हुईं और उन्हें संबोधित किया। एक अन्य अवसर पर उन्होंने फोन के जरिए कार्यकर्ताओं को संबोधित भी किया।  
अंकटाड का अनुमान है कि कोरोना के कारण 2020 और 2021 में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में चार लाख करोड़ डॉलर (चार ट्रिलियन डॉलर) से अधिक का आर्थिक नुकसान हुआ है। टूरिज्म और अन्य उद्योगों के इस दौरान पूरी तरह ठप पड़ जाने के कारण यह क्षति हुई है। भारत सहित दुनिया के कई देशों में कोरोना अभी भी गंभीर स्थिति में है और कई जगहों पर लॉकडाउन लगाना पड़ रहा है, माना जा रहा है कि यह नुकसान अभी और बढ़ेगा।

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