दुनका (बरेली)। एक बार फिर एक मासूम ने अपनी जिजीविषा से नियति को पराजित कर दिया। पैदा होते ही गन्ने के खेत में फेंक दी गई बच्ची पूरी रात वहीं पड़ी रही। कीड़ों ने उसके दोनों पैर इतनी बुरी तरह कुतर डाले कि उसकी हड्डियां तक दिखने लगीं। सुबह बच्ची के बेतहाशा रोने की आवाज सुनकर पहुंचे लोगों ने उसे उठाकर पुलिस को सूचना दी। इसके बाद उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया।
बच्ची दुनका के ही नौलखराम के खेतों में पड़ी मिली। आसपास रहने वाले लोगों ने बताया कि रात में बार-बार उन्हें बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी लेकिन वे इसके अलावा और कुछ नहीं सोच पाए कि पड़ोस के किसी घर में बच्चा रो रहा होगा। सुबह करीब पांच बजे फिर बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी तो नौलखराम की बहन उर्मिला को शक हुआ। खेत पर पहुंचीं तो वहां एक बच्ची को पड़ा पाया जिसके शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था। उर्मिला ने इसके बाद अपने घर वालों को बुलाया और बच्ची को उठाकर अपने घर ले गईं। नौलखराम ने पुलिस को सूचना दे दी।
यूपी 112 और थाना शाही की पुलिस पहुंचने तक नौलखराम के घर पर गांव के लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई। पुलिस के साथ चाइल्ड लाइन की सदस्य रिया और रजनी भी पहुंची थीं। उन्होंने तुरंत एंबुलेंस बुलाकर बच्ची को जिला अस्पताल भिजवाया। चाइल्ड लाइन की प्रभारी आरती शर्मा ने बताया कि उनकी एक टीम जिला अस्पताल में बच्ची की निगरानी कर रही है।