जंगली जानवरों व मवेशियों से पौधों को पहुंचा नुकसान

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दिल्ली में बीते तीन सालों में जंगली जानवरों और मवेशियों ने पौधों को नुकसान पहुंचाया है। वहीं, अधिकांश स्थानों पर मिट्टी और जल संरक्षण के उपायों को लेकर नहीं अपनाने की बात सामने आई है। इसे लेकर वन अनुसंधान संस्थान(एफआरआई) ने  2016 और 2019 के बीच दिल्ली में किए गए वार्षिक पौधरोपण की ऑडिट रिपोर्ट वन विभाग को सौंपी है।

एफआरआई ने रिपोर्ट में कहा है कि  विभाग की ओर से पौधरोपण स्थलों के रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं किए गए, जो कि गतिविधियों की निगरानी और भविष्य के कार्यान्वयन के संबंध में एक गंभीर समस्या है। विभाग की ओर से केवल पौधों की संख्या, साइटों के नाम और जीआईएस मानचित्र दिखाए गए। कई स्थलों पर जंगली जानवरों और आवारा मवेशियों के कारण पौधों को नुकसान पहुंचाया गया। 

ऐसे में नए लगाए गए पौधों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए उपायों को बढ़ाने की जरूरत है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मिट्टी और जल संरक्षण के उपायों को अधिकांश स्थलों पर नहीं अपनाया गया था। भूमि की उत्पादकता बढ़ाने, जल स्तर को रिचार्ज करने और पौधरोपण स्थलों पर जल व्यवस्था में सुधार के लिए मृदा और जल संरक्षण उपाय महत्वपूर्ण हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि लंबे समय में ऐसे उपाय उत्पादकता में सुधार और मिट्टी की नमी की मात्रा को बढ़ाकर पौधरोपण की उत्तरजीविता दर में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि मिट्टी और जल संरक्षण घटक को पौधरोपण कार्यक्रमों और वार्षिक कार्य योजनाओं में अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए तो यह विवेकपूर्ण होगा। रिपोर्ट के मुताबिक, यह भी देखा गया कि पौधरोपण के लिए चयनित स्थलों पर पौधरोपण और मिट्टी और जल संरक्षण गतिविधियों को शुरू करने के लिए जीआईएस आधारित योजना को नहीं अपनाया गया था। हालांकि, पौधरोपण के ऑडिट निष्कर्षों ने एक उत्साहजनक तस्वीर भी पेश की है।एफआरआई टीम ने गर्मी के मौसम में आग के कारण पौधरोपण के नुकसान के जोखिम के बारे में भी चिंता जताई और कहा कि दिल्ली में फील्ड स्टाफ को जंगल की आग नियंत्रण उपकरण प्रदान करना और उन्हें ऐसी आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रशिक्षित करना आवश्यक है। साथ ही एफआरई ने यमुना की बाढ़ में चपेट में आने वाले पौधों का भी जिक्र किया है। 

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