गांव बबनपुर में ही दूषित पानी के कारण करीब 25 लोग कैंसर की चपेट में आकर मौत के आगोश में समा चुके हैं। अब छोटे बच्चे भी घुटनों की बीमारी से ग्रस्त होने लगे हैं। हैरानी तो यह है कि दूषित पानी होने के बावजूद और ग्रामीणों की मांग पर सरकारी आरओ सिस्टम नहीं लगाया गया, ताकि लोगों को शुद्ध पानी मुहैया करवाया जा सके।
हालात ऐसे हैं कि खेतों में लगे ट्यूबवेल काला पानी उगल रहे हैं। मजबूरी में किसान इसी से अपनी फसलों की सिंचाई कर रहे हैं। सरकार और प्रशासन की लापरवाही के कारण इसी पानी का इस्तेमाल पीने में भी कर रहे हैं।इंडस्ट्री से छोड़ा जा रहा केमिकल युक्त जहरीला पानी बंद करवाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे गांव बबनपुर के रहने वाले जगतार सिंह तारी ने बताया कि गांव बबनपुर और आसपास करीब दो किलोमीटर का क्षेत्र करीब 10 साल से दूषित पानी की समस्या से जूझ रहा है। ट्यूबवेल भी दूषित पानी उगल रहे हैं। किसान इसी पानी का इस्तेमाल सिंचाई में करते हैं।
उन्होंने केमिकल युक्त पानी पर रोक लगाने की शिकायत नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक की। ग्रामीण चंदा इकट्ठा कर कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है। उन्होंने कहा कि नियमों के मुताबिक जिस क्षेत्र में इंडस्ट्री लगी होती है, वहां आसपास के खेतों में फसलों की सिंचाई के लिए आधा पानी नहर से मुहैया करवाया जाता है लेकिन दुख की बात है कि उनके खेतों से करीब एक किलोमीटर पर स्थित बबनपुर नहर से उन्हें एक बूंद पानी नसीब नहीं हो रहा।