जिस आतंकी को छुड़ाने के लिए पाकिस्तानी युवक ने मासूमों को बनाया था बंधक, उसकी रिहाई का वादा कर चुके हैं इमरान खान

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अमेरिका के टेक्सास में एक पाकिस्तानी मूल के युवक ने यहूदी धर्मस्थल में चार लोगों को बंधक बनाकर लेडी अलकायदा के नाम से मशहूर न्यूरोसाइंटिस्ट आफिया सिद्दीकी को रिहा करवाने की भरपूर कोशिश की। हालांकि, अमेरिकी कमांडो के ऑपरेशन में ब्रिटिश नागरिकता रखने वाले इस पाकिस्तानी व्यक्ति की मौत हो गई। पुलिस ने उसका नाम मलिक फैसल अकरम बताया, जिसे पाकिस्तान में फैले कट्टरपंथ से बुरी तरह प्रभावित बताया गया। हालांकि, आतंकवाद फैलाने के आरोपियों के प्रति पाकिस्तान का प्यार नया नहीं है। खासकर न्यूरोसाइंटिस्ट आफिया सिद्दीकी के मामले में तो यह प्रेम काफी पुराना है। दरअसल, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान खुद ही चार साल पहले अपने घोषणापत्र में आफिया को छुड़ाने का वादा पाकिस्तानी जनता से कर चुके हैं। 

गौरतलब है कि आफिया सिद्दीकी वही न्यूरोसाइंटिस्ट है, जिसका अलकायदा के साथ रिश्तों का खुलासा हो चुका है। आफिया को अफगानिस्तान में कस्टडी में रहने के दौरान अमेरिकी सैन्य अधिकारियों की हत्या की कोशिश के मामले में भी दोषी करार दिया जा चुका है। फिलहाल यह महिला अमेरिकी जेल में 86 साल की जेल की सजा काट रही है। हालांकि, इन मामलों के बावजूद पाकिस्तान लगातार आफिया को छुड़ाने की भरपूर कोशिश करने में जुटा है। बराक ओबामा जिस वक्त अमेरिकी राष्ट्रपति थे, उस दौरान पाकिस्तान सरकार ने उन्हें प्रस्ताव दिया था कि वे पाकिस्तानी जेल में बंद एक सैनिक के बदले आफिया को छोड़ दें। इतना ही नहीं 2018 में पाकिस्तान की संसद ने एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें कहा गया था कि सरकार आफिया सिद्दीकी की रिहाई का मुद्दा अमेरिका के सामने उठाना जारी रखेगा। इस प्रस्ताव में आफिया को पाकिस्तान की बेटी तक करार दिया गया था।इतना ही नहीं इमरान खान ने जिस वक्त प्रधानमंत्री पद की दावेदारी पेश की थी, उस वक्त आफिया सिद्दीकी को अमेरिकी जेल से छुड़ाने का वादा उनकी पार्टी- पीटीआई के घोषणापत्र में शामिल किया गया था। इमरान के घोषणापत्र में कहा गया था- “विदेश में ऐसे पाकिस्तानी हमारी सबसे बड़ी संपत्ति हैं, जिन्हें उनके नागरिक अधिकारों से वंचित रखा गया है। ऐसे लोग कमजोर और अपूर्ण कानूनी प्रक्रियाओं की वजह से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में भी योगदान नहीं दे पा रहे हैं। हम तय करेंगे कि विदेश में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी देश में मतदान का अधिकार मिले।”

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