प्रयागराज से पैदल चले गए पंचकेदारनाथ

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कुछ अलग करने का जुनून लिए धूमनगंज निवासी धीरज मिश्र (29) गंगा स्नान के बाद चार जून 21 को प्रयागराज से केदारनाथ के लिए पैदल निकले। हालांकि धीरज के पिता अमर नाथ मिश्र (रिटायर्ड सैन्यकर्मी) जो अब रेलवे में कार्यरत हैं,  को बेटे के इस निर्णय पर थोड़ा ताजुब्ब जरूर हुआ, लेकिन फिर उन्होंने धीरज को जाने की अनुमति दे दी। चार जून से शुरू हुई यात्रा के दौरान धीरज ने हर रोज 35 से 45 किलोमीटर की दूरी तय करने का लक्ष्य निर्धारित किया। प्रयागराज से गुप्तकाशी तक के सफर के दौरान उन्होंने बीच रास्ते में पड़ने वाले पेट्रोल पंप, ढाबों, मंदिर आदि में ही रात गुजारी। पेशे से खेल उत्पादों का कारोबार करने वाले धीरज बताते हैं कि इस सफर के दौरान उन्हें कई जगह लोगों ने घरों में खाना खिलाया, जिससे रेस्टोरेंट में बहुत कम जाना पड़ा।

उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में लोगों ने काफी प्यार दिया। उत्तराखंड में हल्द्वानी, भीमताल, द्वारहाट आदि स्थानों में बारिश के बीच ही सफर करना पड़ा। स्थानीय लोगों द्वारा बताए हुए शार्टकट से भी काफी सहायता मिली। प्रयागराज से 1060  किलोमीटर का पैदल सफर करने के बाद 28 जून को ही धीरज गुप्तकाशी पहुंचे। वहां कोविड प्रोटोकाल की वजह से स्थानीय जिला प्रशासन ने आगे की यात्रा करने की अनुमति नहीं दी। बाद में स्थानीय लोगों द्वारा पंच केदारनाथ की यात्रा करने का सुझाव दिया गया। स्थानीय प्रशासन ने यह भी आश्वासन दिया कि जैसे ही केदारनाथ की यात्रा शुरू होगी, उन्हें इसकी सूचना दे दी जाएगी। धीरज ने बताया कि वह पहले भी दो बार वाहन के माध्यम से केदारनाथ की यात्रा कर चुके हैं। 
केदारनाथ की यात्रा की अनुमति न मिलने के बाद धीरज ने पंच केदार की यात्रा की। दरअसल उत्तराखंड में भगवान शिव के पांच पौराणिक मंदिरों का एक समूह है, जिसे पंचकेदार के नाम से जाना जाता है। इस समूह में केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर महादेव मंदिर शामिल हैं। केदारनाथ के अलावा शेष अन्य मंदिरों में जाकर धीरज ने भोलेनाथ के दर्शन किए। इस दौरान वह तकरीबन 250 किलोमीटर पैदल ही चले। 22 दिन में उनकी यह यात्रा पूरी हुई। इस तरह से उन्होंने कुल 1310 किमी की पैदल यात्रा की। पिछले माह 28 जुलाई को ही वह प्रयागराज लौटे।

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