मौत के बाद वायरल हुआ संक्रमित मरीज का वीडियो, डॉक्टर आहत

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झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में कोरोना से दम तोड़ने के बाद लापरवाही और देखभाल न होने के आरोप लगा रहा है। 

हालांकि, मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए मरीज का हर संभव उपचार करने की बात कही है। मऊरानीपुर निवासी और वहीं के एक डिग्री कॉलेज के प्राध्यापक को 19 जुलाई को मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में भर्ती किया गया था। 
उसी दिन उनका सैंपल लेकर जांच के लिए कोविड लैब भेज दिया गया। तीन दिन बीतने के बाद 23 जुलाई को उनकी जांच रिपोर्ट आई तो वह कोरोना पॉजिटिव पाए गए। 
27 जुलाई को उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई। मौत के बाद ही उनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें वह कराहते हुए मेडिकल कॉलेज में अव्यवस्थाएं होने का आरोप लगा रहे हैं। 

वीडियो में वह कह रहे हैं कि यहां चारों तरफ अव्यवस्थाएं हैं। लापरवाही हो रही है। कोई केयर नहीं हो रही। इसलिए उन्हें दूसरे अस्पताल में भर्ती कर दिया जाए। वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर खूब शेयर हो रहा है। 

लोग तमाम तरह की चर्चाएं कर रहे हैं। मृतक की पत्नी और बेटी भी कोरोना पॉजिटिव हैं और एसिमटोमेटिक होने के कारण एल-1 इकाई में भर्ती हैं।
इस प्रकरण में मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. साधना कौशिक की तरफ से प्रेस नोट जारी कर कहा गया कि उक्त मरीज जब मेडिकल कॉलेज में भर्ती हुए तो उन्हें सांस लेने में तकलीफ थी और बुखार था। 
ऑक्सीजन लेवल 82 प्रतिशत होने पर तुरंत ऑक्सीजन लगा दी गई। भर्ती होने के दो घंटे बाद ही सैंपल ले लिया गया। पॉजिटिव रिपोर्ट की जानकारी होने पर मरीज विचलित हो गए और कहने लगे कि अब नहीं बचेंगे। 

वह घर वालों को साथ रखने की जिद करने लगे। उनके तीमारदार को लगातार मरीज की सेहत के बारे में जानकारी दी जा रही थी। वह मधुमेह से पीड़ित थे और एक्सरे में एआरडीएस के बदलाव बढ़ रहे थे। 

इसके मद्देनजर 26 जुलाई को उन्हें टॉक्लीजूमेब इंजेक्शन लगाया गया। रेमडेसिविर भी लगाना शुरू किया गया। अनियंत्रित मधुमेह और गिर रहे ऑक्सीजन सेचुरेशन के कारण उन्हें वेंटीलेटर पर डालना पड़ा। सीपैपे वेंटिलेटर लगाया गया। 

तब भी ऑक्सीजन की कमी पूरी नहीं हुई तो इनवेसिव वेंटीलेटर लगाया गया। उनकी मौत के बाद भी तीमारदारों ने इलाज को लेकर कोई शिकायत नहीं की। मगर इस तरह के निगेटिव दृष्टिकोण के वीडियो वायरल होने से डॉक्टर और कर्मचारी आहत हैं, क्योंकि वह खुद और अपने परिवार की परवाह किए बिना नियमित रूप से दिन-रात कोविड मरीजों की सेवा में लगे हुए हैं।

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