लंबी चली जंग तो भारत को होगा सबसे ज्यादा नुकसान,

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भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की शोध रिपोर्ट में प्रमुख आर्थिक सलाहकारी सौम्यकांति घोष ने दावा किया है, युद्ध के लंबे खिंचने पर अगले वित्त वर्ष में सरकार के राजस्व में 95 हजार करोड़ से एक लाख करोड़ रुपये तक की कमी देखने को मिल सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नवंबर 2021 से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत आसमान छूती जा रही है। यहां आपको बता दें कि अगर कच्चे तेल की कीमत 100 से 110 डॉलर की सीमा में रहती है तो वैट के ढांचे के अनुसार, पेट्रोल-डीजल की कीमत मौजूदा दर से 9 से 14 रुपये प्रति लीटर अधिक होगी। सरकार उत्पाद शुल्क में कटौती करने के बाद कीमत बढ़ने से रोकती है, ऐसे में इस हिसाब से सरकार को हर महीने 8,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान उठाना होगा।

पेट्रोल-डीजल की मांग बढ़ने से बढ़ेगा बोझ

रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि अगले वित्त वर्ष पेट्रोल और डीजल की मांग में 8 से 10 फीसदी का इजाफा संभव है। अगर ऐसा होता है तो पूरे वर्ष में सरकार को राजस्व का एक लाख करोड़ रुपये तक का नुकसान हो सकता है। इसके साथ ही कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा होने के कारण पेट्रोल-डीजल के रेट बढ़ेंगे और इस वजह से माल ढुलाई के खर्च में भी इजाफा होगा। माल ढुलाई का खर्च बढ़ने रोजमर्रा के सामानों की कीमत में वृद्धि होगी जो आपके जेब पर सीधा असर करेगी। इससे खुदरा महंगाई दर जो पहले से ही सात महीने के उच्च स्तर पर है, में भी बढ़ोतरी संभव है। यानी सीधे शब्दों में कहें तो हजारों मील दूर हो रहा रूस-यूक्रेन का युद्ध भारत की घरेलू महंगाई बढ़ाएगा। 

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