लॉकर डकैती: बैंक मैनेजर और लॉकर इंचार्ज ने रचा था लूट का खेल,

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कानपुर सेंट्रल बैंक में ढाई करोड़ की चोरी के मास्टर माइंड तत्कालीन ब्रांच मैनेजर रामप्रसाद को पुलिस ने पूछताछ के लिए हिरासत में लिया तो वह खुद को बेकसूर बताता रहा, लेकिन पुलिस की जांच में बेनकाब हो गया। मैनेजर और लॉकर इंचार्ज ने मिस्त्री और उसकी टीम के साथ मिलकर ग्राहकों के लॉकर खाली कर दिए थे। पुलिस ने लॉकर तोड़ने वाले मिस्त्री चंद्रप्रकाश से जब पूछताछ की और अभिलेखों की जांच की, तो चोरी की तस्वीर साफ होती चली गई।
डीसीपी सलमान ताज पाटिल ने बताया कि बैंक के रजिस्टर व अन्य रिकॉर्ड चेक किए गए, तो इसमें असमानता मिली। अभिलेखों के अनुसार सिर्फ तीन लॉकरों से सामान मिलने की पुष्टि थी, जबकि कंपनी के अधिकृत मिस्त्री चंद्रप्रकाश ने वारदात के दिन 12 लॉकरों से सामान मिलने की बात बताई। पुष्टि के लिए चंद्रप्रकाश से पूछताछ कर तोड़ने वाले लॉकरों को चिह्नित कराया गया।

मिस्त्री ने उन लॉकरों को भी बताया, जिनसे ग्राहकों के करोड़ों के गहने गायब किए थे। मिस्त्री ने इन लॉकरों को लॉकर इंचार्ज की निशानदेही पर खोलने की बात कबूली। पुलिस खुलासे को और पुख्ता करने के लिए चंद्रप्रकाश के साथी करनराज को भी शुक्रवार को अपने साथ बैंक ले गई।
उसने भी पीड़ित ग्राहकों के लॉकरों को खोलने की पुष्टि की। करनराज को इस काम के लिए अलग से 10 हजार रुपये दिए गए थे। इसके बाद जब पुलिस ने बैंक मैनेजर से सख्ती से पूछताछ की तो वह टूट गया। पूरी वारदात में लॉकर इंचार्ज शुभम मालवीय की भी अहम भूमिका रही है।

पहले टटोला फिर उड़ा दिए लॉकरों से गहने
पुलिस को मिस्त्री चंद्रप्रकाश ने बताया कि 29 लॉकरों को खोलने के लिए उनके पास छह घंटे का वक्त था। इनमें से 20 अनऑपरेट वाले लॉकर थे, जिन्हें तोड़ने में समय नहीं लगा। शेष 9 लॉकरों को तोड़ने से पहले उन्हें टटोलना पड़ा कि उसमें रकम है कि नहीं। लॉकरों के छेद में पहले तीली डाली, जिनमें गहने भरे होने का एहसास हुआ उन्हें तोड़ दिया गया। अधिकारियों ने बड़ी सफाई से अभिलेखों में उन्हीं 29 लॉकरों का जिक्र किया था, जो अनऑपरेट थे। जबकि वारदात के दिन 20 अनऑपरेट वाले और 9 ऑपरेट लॉकरों को तोड़ा गया था। वहीं, किराये पर उठे 507 लॉकरों में से ग्राहक अब तक 306 लॉकर चेक कर चुके हैं, जिनमें से अभी तक नौ लॉकरों से ही गहने गायब होने की पुष्टि है।

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