सपा ने टिकट वितरण में पिछड़े और अति पिछड़ों का रखा विशेष ध्यान,

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समाजवादी पार्टी ने 44 जिलों की 159 विधानसभा क्षेत्रों में टिकट वितरण के साथ जहां नए सियासी समीकरण साधे, वहीं वर्गीय गोलबंदी भी की है। पार्टी ने दूसरे दलों से आने वालों पर दांव लगाने के साथ ही वरिष्ठ नेताओं के परिजनों, डॉक्टरों, व्यापारी और महिलाओं को भी मैदान में उतारा है।पार्टी ने पिछड़ी जाति के  यादव, जाट, लोधी, पटेल, मौर्य, शाक्य और गुर्जर के साथअति पिछड़ी जाति के निषाद, धनगर समाज से जुड़े 63 लोगों को भी मैदान में उतारा है। सपा इस रणनीति के जरिए बड़ी आबादी पर अपनी पकड़ मजबूत बनाना चाह रही है। पार्टी ने 28 वर्तमान विधायकों में से 21 को टिकट दिया जबकि आठ के क्षेत्र बदल दिए हैं। 
सपा ने 11 महिलाओं को भी टिकट दिए हैं, इनमें चार पहली बार मैदान में उतरी हैं। एटा से जुगेंद्र सिंह यादव और उनके बड़े भाई विधायक रामेश्वर यादव को अलीगंज से फिर उतारा गया है। पीलीभीत के पूर्व विधायक प्रीतम की बहू आरती को पूरनपुर सीट से, पूर्व मंत्री मनोहर लाल निषाद के पौत्र अभिनव कुमार को उन्नाव से टिकट दिया है। पूर्व सांसद चंद्रपाल के बेटे यशपाल यादव को बबीना से उतारा गया है।कांग्रेस की पूर्व सांसद अनू टंडन के साथ सपा में आए अंकित परिहार को उन्नाव की भगवंत नगर और उषा मौर्य को फतेहपुर की हुसैनगंज और सपा-कांग्रेस गठबंधन में चुनाव लड़ने वाले रामेश्वर दयाल गुप्ता को बिंदकी से टिकट दिया गया है।भाजपा से नाता तोड़कर आने वाले पहले सीतापुर के विधायक राकेश राठौर को निराशा हाथ लगी। सपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया है। 

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