कभी जो थे अपने, वही बढ़ा रहे चुनौती, फूंक-फूंक कर कदम रख रही सपा,

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सपा ने 44 जिलों की 159 सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए हैं। पर, दूसरी तरफ देखें तो इन्हीं जिलों की 15 सीटों पर अब तक उम्मीदवारों के नाम पर सहमति नहीं बन पाई है। इसे लेकर मंथन का दौर जारी है। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि कहीं भी एक चूक आसपास की कई सीटों को प्रभावित कर सकती है। कभी जो सपा के अपने थे। जो पार्टी के काम में जी-जान से जुटे रहते थे, वही इस बार पार्टी की चुनौती बढ़ा रहे हैं। कुछ दूसरे दल में जाकर सपा का रथ रोकने की कोशिशों में जुटे हैं, तो कुछ ऐसे भी हैं जो दल में रहते हुए चुनावी गणित बिगाड़ सकते हैं। वहीं, परंपरागत व जाति बहुल वाली सीटों पर दूसरी जाति या वर्ग के दावेदार उतारने से भी समीकरणों को लेकर जोखिम बढ़ा है। बहरहाल, पार्टी फूंक-फूंक कर कदम रख रही है।इसीलिए जहां अंतर्द्वंद्व ज्यादा हैं, वहां के टिकट रोक लिए गए हैं। मसलन, सीतापुर जिले की सिधौली सीट पर बसपा से आए नेता ने दावा ठोका है, जबकि पुराने सपाई भी दावेदार हैं। इसी तरह लखीमपुर खीरी जिले की धौरहरा, मोहम्मदी सीट पर भी उम्मीदवार को लेकर पेच फंसा हुआ है। 

हरदोई जिले की सवायजपुर और बालामऊ सीट के लिए भी उम्मीदवार तय नहीं हो सके हैं। अलबत्ता, संडीला में सपा के साथ गठबंधन में शामिल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने अपना उम्मीदवार उतार दिया है। उन्नाव की बांगरमऊ सीट पर भी पेच फंसा हुआ है। औरैया की बिधूना पर भी उम्मीदवार तय नहीं है। बुंदेलखंड  की बबेरू, बांदा, चित्रकूट और मानिकपुर में उम्मीदवार तय करने में पसीने छूट रहे हैं।

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