साइबर क्राइम सेल के एसीपी विवेक रंजन राय के मुताबिक फरवरी महीने में चिनहट थाने मं एक युवती से नौकरी के नाम पर ठगी हुई। ठगी करने वालों ने ऑन लाइन कंपनी बनाकर नौकरी दिलाने का झांसा दिया। शाइन डॉट कॉम नाम से कंपनी के जरिए जालसाजी की गई। युवती के फोन पे के जरिए यूनियन बैंक के खाते में 10799 रुपये साऊ कर दिये गये। मुकदमा दर्ज कर साइबर क्राइम टीम ने जांच शुरू की। टीम ने आलमबाग से हरदोई के बालामऊ निवासी गोपाल मौर्या और उरई के इंद्रनगर कुइया निवासी भरत शर्मा को गिरफ्तार किया। दोनाें आलमबाग के सुंदरनगर में किराए पर रहते थे। पुलिस ने उनके पास से 5028 एक्टिवेट सिम, 34 एंड्रायड मोबाइल व दो बायोमीट्रिक डिवाइश बरामद की।
एसीपी के मुताबिक सड़क चलते हुए लोग फुटपाथ से सिम खरीदने लगते हैं। इसके लिए सभी जरूरी दस्तावेज भी देते हैं। जो किसी भी तरह से सुरक्षित नहीं हैं। ग्राहकों इन्हीं दस्तावेजों के जरिए इन जालसाजों ने ठगी का काला कारोबार शुरू कर दिया। यह गिरोह सिम एक्टिवेट करने की अथॉरिटी रखता है।
बीएसएनएल व वोडा फोन के सिम बेचते थे। ग्रामीण व नई कालोनियों में रहने वाले इनके निशाने में रहते हैं। इन इलाकों में सड़क किनारे कैनोपी लगाकर 10 से 20 रुपये में सिम कार्ड बेचते हैं। 10 रुपये में सिम पर कॉलिंग व इंटरनेट की सुविधा का लालच मिलते ही लोग सिम कार्ड खरीद कर एक्टिवेट कराते हैं। कई बार लोगों को झांसा देकर एक से अधिक बार दस्तावेजों की स्कैनिंग व फोटो खींच लेते हैं। इसके बाद ग्राहकों के नाम से दूसरा सिम सक्रिय कर ठगी का कारोबार शुरू कर देते हैं।
एसीपी के मुताबिक जालसाजों के पास बीएसएनल व वोडाफोन कंपनी के सिम के एक्टिवेशन की अथॉरिटी है। कंपनी में 30 रुपये का सिम का दाम और 50 रुपये में बेचा जाता है। शातिर 10 रूपये में एक्टिव सिम ग्राहकों को बेचते हैं। अपने नुकसान की भरपाई के लिए ग्राहकों के असली दस्तावेजों के जरिए तीन से चार सिम एक्टिव करते थे। इन सिम के जरिए फोन पे, गूगल पे और मोविक्विक वॉलेट एक्टिव करते थे।
इसके अलावा दूसरे नंबर पर भी रिफरल कोड कैशबैक का फायदा उठाते थे। वॉलेट एक्टिव कर सिंगल तरीके से एक सिम पर चार से पांच सौ रुपये कमाते थे। सिम प्रयोग करने के बाद एनसीआर में चलने वाले साइबर ठगी के कॉल सेंटर को बेच देते थे। इन जालसाजों के निशाने पर वही इलाका होता है जहां कोई मोबाइल की द़ुकान नहीं है। वहां सड़कों पर रोज कैनोपी लगाते हैं। ताकि उन पर लोग भरोसा करने लगे। एक इलाके में 40 से 70 सिम बेचने के बाद दूसरे इलाके में चले जाते हैं। यह गिरोह एक से दो लोगों को ठगने के बाद सिम बंद कर देता था।