भारत- पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत अपने पड़ोसी देश से सिंधु जल समझौता तोड़ सकता है. गुरुवार को विदेश मंत्रालय ने इसके संकेत दिए. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने इस जल समझौते पर कहा कि किसी भी समझौते के दो देशों में आपसी भरोसा और सहयोग होना जरूरी है. यह एकतरफा नहीं हो सकता.हमारा काम बोलता है: विदेश मंत्रालय उरी हमले के बाद पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई के सवाल पर स्वरूप ने कहा कि हमारा काम अपने आप बोलता है और हमारे एक्शन से नतीजे आने शुरू हो गए हैं. विकास स्वरूप ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में किसी भी देश ने कश्मीर के मुद्दे पर एक शब्द भी नहीं कहा, लेकिन नवाज शरीफ के भाषण का 80 फीसदी कश्मीर पर केंद्रित था’हमें डोजियर की जरूरत नहीं, दुनिया PAK की सच्चाई जानती है’नवाज शरीफ ने बुधवार को अपने भाषण में कहा था कि वो कश्मीर में भारतीय सेना द्वारा किए जा रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर संयुक्त राष्ट्र को एक डोजियर सौपेंगे और कश्मीर हिंसा की जांच कराने की मांग करेंगे. इस पर विकास स्वरूप ने कहा कि हमें यूएन महासचिव के बयान में इसका कोई जिक्र नहीं मिला. उन्होंने कहा कि हमें डोजियर देने की जरूरत नहीं है, पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा।
क्या है सिंधु जल समझौता?
सिंधु नदी संधि को आधुनिक विश्व के इतिहास का सबसे उदार जल बंटवारा माना जाता है. इसके तहत पाकिस्तान को 80.52 फीसदी पानी यानी 167.2 अरब घन मीटर पानी सालाना दिया जाता है. नदी की ऊपरी धारा के बंटवारे में उदारता की ऐसी मिसाल दुनिया में और किसी जल समझौते में नहीं मिलती. 1960 में हुए सिंधु समझौते के तहत उत्तर और दक्षिण को बांटने वाली एक रेखा तय की गई है, जिसके तहत सिंधु क्षेत्र में आने वाली तीन नदियों का नियंत्रण भारत और तीन का पाकिस्तान को दिया गया है।