कार्रवाई के नाम पर कंपाउंडर पर केस, डॉक्टर को बचा रहे अफसर

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जीवनी मंडी निवासी राजकुमार चौहान ने डेढ़ साल के बेटे कार्तिक को निमोनिया होने पर चार सितंबर को पुष्पांजलि हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। आठ सितंबर को कंपाउंडर के इंजेक्शन लगाने के बाद उसकी मौत हो गई थी। राजकुमार ने डॉक्टर और स्टाफ की लापरवाही से मौत का आरोप लगाते हुए तहरीर दी थी। लेकिन, पुलिस ने सीएमओ की जांच के बाद रिपोर्ट दर्ज कराने की बात कही।

सीएमओ की जांच रिपोर्ट में कंपाउंडर जीतू कुशवाहा को दोषी ठहराया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रथम दृष्टया कंपाउंडर की लापरवाही से मौत हुई है। घटना वाले दिन वो इंजेक्शन लगा रहा था तभी दूसरा कर्मचारी उसे मोबाइल दे गया। वो बात करता हुआ बाहर चला, बाद में वापस आकर कार्तिक को इंजेक्शन लगा दिया, जिसके बाद कार्तिक की मौत हो गई।

इस पर पुलिस ने राजकुमार से शुक्रवार को दूसरी तहरीर लिखवाई, तब कंपाउंडर के खिलाफ लापरवाही से मौत के मामले में मुकदमा दर्ज किया गया। हालांकि राजकुमार का कहना है कि अस्पताल में मरीज के भर्ती होने के बाद अस्पताल संचालक और डॉक्टर पूरी तरह से जिम्मेदार हैं। 

इसके बावजूद पुलिस ने मुकदमे में उनको नामजद नहीं किया। तहरीर भी बदलवा दी। थाना प्रभारी निरीक्षक का कहना है कि सीएमओ की जांच रिपोर्ट के आधार पर मुकदमा दर्ज कराया गया है। विसरा की जांच रिपोर्ट अभी आना बाकी है।

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