दशकों से अधीन संपत्ति पर नहीं जता सकते मालिकाना हक: सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर दोहराया है कि भले ही किसी व्यक्ति ने अनावश्यक रूप से दशकों तक किसी संपत्ति या परिसर को अपने अधीन कर रखा हो लेकिन वह उस पर अपना अधिकार नहीं जता सकता। शीर्ष अदालत ने साफ कहा कि ऐसे व्यक्तियों को उस संपत्ति पर किसी तरह का कानूनी हक नहीं है।

न्यायमूर्ति पिनाकी चंद घोष और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने मुंबई हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए यह दोहराया है। मुंबई के इस मामले में पीठ ने पाया कि एक महिला ने स्नेह और सहानुभूति के कारण एक शख्स को अपनी संपत्ति केएक हिस्से में रहने की इजाजत दी थी और वह भी बगैर किसी शुल्क या किराये के। पीठ ने कहा कि ऐसा व्यक्ति उस संपत्ति पर अधिकार नहीं जता सकता, भले ही वह वर्षों या दशकों से वहां रह रहा हो या संपत्ति उसके अधीन में हो।
पीठ ने कहा कि कोई संपत्ति भले ही वर्षों से केयरटेकर, दरबान या नौकर के जिम्मे हो लेकिन वे संपत्ति पर दावेदारी नहीं जता सकते। वे सिर्फ संपत्ति मालिक द्वारा दी गई जिम्मेदारियों को निभाते हैं। उनका संपत्ति पर अधिकार नहीं है। ऐसे लोगों को संरक्षण नहीं दिया जा सकता है। अदालत उन लोगों को अंतरिम संरक्षण जरूर दे सकती है अगर उसके पास रेंट एग्रीमेंट या लीज एग्रीमेंट हो।

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