इंदौर में गड्ढों ने ली बेटे की जान

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हमारे देश में जितनी जानें सड़क हादसों में जाती है उतनी शायद कोई आम महामारी भी नहीं लेती। नोएडा से वकालत का सपना लिए इंदौर के एक निजी लॉ कॉलेज में एडमिशन लेने आए 18 साल के तनिष्क राज की सड़कों के गड्ढों ने जान ले ली। तनिष्क के पिता का कन्नौद (देवास) के सामने एक पेट्रोल पंप है। अपने दोस्त के साथ उसे ही देखकर वापस जाने के क्रम में इंदौर -बैतूल नेशनल हाईवे पर कालाफाटा के समीप एक बस ने उनकी बाईक को टक्कर मार दी। बता दें कि इसी जगह पर कुछ दिनों पहले एक छात्रा की भी मौत हो गई थी।  

 
तनिष्क और उसके साथी अजय को घायल अवस्था में जल्दी से कन्नौद अस्पताल ले जाया गया। सीने और सिर में जख्म के कारण तनिष्क का खून रुकने का नाम नहीं ले रहा था। डॉक्टरों ने उसे जल्द से जल्द इंदौर ले जाने की सलाह दी। लेकिन खराब सड़कों ने उनका रास्ता रोक लिया और तनिष्क की जान चली गई।  

 
तनिष्क के पिता ने रोती हुई आवाज में बताया कि डॉक्टरों का कहना था कि अगर तनिष्क को थोड़ी देर पहले लाया जाता तो शायद उसकी जान बच सकती थी। तनिष्क का परिवार नोएडा के इंदू विहार का रहने वाला था। उसके पिता ने कुछ साल पहले ही कन्नौद के पास एक पेट्रोल पंप डाला था। तनिष्क की बुआ गुजरात में जज थीं और वह उन्हीं की तरह बनना चाहता था।  
तनिष्क के पिता विनोद कुमार ने बताया कि जब मुझे हादसे का पता चला तो तुरंत कन्नौद अस्पताल पहुंचा। यहां डॉक्टरों ने बेटे को इंदौर के किसी बड़े अस्पताल में ले जाने के लिए कहा, क्योंकि उसके सिर से खून बहना नहीं रूक रहा था। पहले मैने एंबुलेंस बुक किया, इसमें भी मुझे इंतजार करना पड़ा। फिर एंबुलेंस आते ही तनिष्क को लेकर इंदौर के लिए निकल पड़ा, लेकिन रास्ता इतना घटिया था कि एंबुलेंस बैलगाड़ी से भी धीरे चल रही थी। कई जगह पर इसे रुकना भी पड़ा, तनिष्क के सिर से खून लगातार बहता जा रहा था। जब तक हम बॉंम्बे अस्पताल पहुंचे तनिष्क की हालत बहुत बिगड़ गई थी। डॉक्टरों ने कहा कि काफी देर कर दी नहीं तो तनिष्क की जान बच जाती।

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