कोरोना की दूसरी लहर में मार्च से अब तक 50 फीसदी संक्रमितों की गंभीर स्थिति के लिए डेल्टा वेरियंट को जिम्मेदार माना जा रहा है। जींस सीकवेंसिंग के लिए भेजे गए नमूनों में डेल्टा प्लस वेरियंट नहीं पाया गया। यह राहत की बात है, लेकिन रिपोर्ट के आधार पर साफ हो गया है कि देश के अन्य प्रदेशों की तरह यहां भी अल्फा के साथ डेल्टा वेरियंट घातक स्वरूप में हावी रहा।
शासन के निर्देश पर मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी की कोबास लैब से जींस (जीनोम) सिक्वेंसिंग के लिए पहली बार जून में 15 संक्रमितों के नमूने कोडिंग के साथ आईईजीआईबी दिल्ली को भेजे गए। इससे पहले मई महीने में केजीएमयू को भी इतने ही नमूने भेजे गए थे। मंशा थी कि डेल्टा प्लस वेरियंट मिले तो उपचार और रोकथाम की व्यवस्था की जा सके। दो बार भेजे गए नमूनों की रिपोर्ट यहां नहीं मिली।
शासन ने जून के अंतिम सप्ताह जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए प्रयागराज से कोरोना संक्रमितों के नमूने आईएमएस बीएचयू भेजने के निर्देश दिए। प्राचार्य डॉ. एसपी सिंह के मुताबिक जून में चिह्नित कोरोना संक्रमितों के सात नमूने जुलाई के पहले सप्ताह में बीएचयू भेजे गए। जिसकी रिपोर्ट 30 जुलाई को मिली है। जिसमें बीएचयू भेजे गए सात में चार नमूनों में डेल्टा वेरियंट ही मिला।