नजीब प्रकरण जे एन यू में आज कल बड़ी जोरो से चल रहा है ! आरोप है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने नजीब का अपहरण कर राका है !
वहीँ हस्तल अध्यक्ष अलीमुद्दीन ने इसे एक शाजिशन आरोप करार करते हुए इसमें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् का हाँथ न होने की बात बताई है
पढ़िए विस्तार से
जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी यानी जेएनयू के छात्र नजीब अहमद की किडनैपिंग मामले में अहम मोड़ आ गया है। जेएनयू के माही मांडवी हॉस्टल के अध्यक्ष जे अलीमुद्दीन ने आरोप लगाया है कि नजीब ने कलावा पहनने की वजह से एक छात्र की पिटाई कर दी और फिर उस मामले को सांप्रदायिक रंग देने के लिए एबीवीपी का नाम घसीटा गया।
अलीमुद्दीन ने तो नजीब के अगवा होने पर ही सवाल खड़े कर दिये। अलीमुद्दीन उसी माही मांडवी हॉस्टल का प्रेसिडेंट है, जिसमें नजीब अहमद रहता है। वहीं जेएनयू स्टूडेंट यूनियन का कहना है कि नजीब पर हमला करने वाले लोग एबीवीपी के ही थे। इस बीच नजीब की जानकारी देने वाले को एक लाख रुपये का ईनाम दिए जाने की घोषणा के बाद भी उसका कुछ अता-पता नहीं चल पाया है।
जेएनयू के माही मांडवी हॉस्टल के अध्यक्ष जे अलीमुद्दीन ने आरोप लगाया है कि नजीब ने कलावा पहनने की वजह से एक छात्र की पिटाई कर दी और फिर उस मामले को सांप्रदायिक रंग देने के लिए एबीवीपी का नाम घसीटा गया।
जेएयू के माही मांडवी हॉस्टल के प्रसिडेंट जे अलीमुद्दीन को इन दिनों यूनिवर्सिटी के सिक्योरिटी के साथ रहना पड़ रहा है। जेएनयू के माही मांडवी हॉस्टल से 14 अक्टूबर के बाद से नजीब के लापता होने के बाद अलीमुद्दीन ने पहली बार आईबीए7 के कैमरे पर अपना मुंह खोलकर सबको चौंका दिया। अलीमुद्दीन के मुताबिक 14 अक्टूबर की रात करीब साढ़े ग्यारह बजे नजीब ने विक्रांत नामक एक अन्य छात्र की पिटाई कर दी थी।
अलीमुद्दीन के मुताबिक नजीब ने उससे कहा कि उसका मनोचिकित्सकीय ईलाज चल रहा है और उससे गलती हो गई। अलीमुद्दीन के मुताबिक इस घटना को लेकर वो लोग हॉस्टल वार्डन से भी मिले। वॉर्डन के पास जाते वक्त कुछ छात्रों ने नजीब को पीछे से घूसा मारा था। अलीमुद्दीन के मुताबिक वॉर्डन के सामने भी नजीब ने गलती कबूल की। इस घटना के बाद से ही नजीब लापता हो गया।
अलीमुद्दीन ने कहा कि रात 11.30 बजे मुझे पता चला कि हॉस्टल में लड़ाई हो गई है। रास्ते में पता चला कि नजीब ने विक्रांत पर हाथ उठाया, विक्रांत ने कलावा पहन रखा था। आगे बढ़ा तो देखा कि नजीब बाथरूम में था और बाहर कुछ लोग भीड़ को अंदर जाने से रोक रहे थे। मैंने नजीब से पूछा कि ऐसा क्यों किया। इस पर नजीब का कहना था कि उसने हाथ उठाया, उसका सिक्ट्रिस्ट का इलाज चल रहा है। गलती हो गई। माफ़ कर दीजिए। हम फिर उसे सीनियर वार्डेन के पास ले जाने लगे, तब कुछ छात्रों ने पीछे से 2-3 घूसे मारे। वो लोग एबीवीपी से नहीं थे। एबीवीपी का कोई रोल नहीं है। पूरे मामले को कम्युनल एंगल देने के लिए एबीवीपी को घसीटा जा रहा है।
अलीमुद्दीन ने कहा कि नजीब को किडनैप नहीं किया जा सकता। ये बात कोई मान नहीं सकता, लेकिन नजीब कहां है, ये नहीं पता। मुझे लगातार धमकियां मिल रही हैं। मेरा साथ लेफ्ट संगठन के लोंगों ने हाथापाई की, इसलिए मुझे जेएनयू कैंपस में घूमने के लिए भी सिक्योरिटी मिली है। मुझे बोला जा रहा है कि मुसलमान होने के बावजूद मुसलमान का साथ नहीं दिया जा रहा।
अलीमुद्दीन के मुताबिक नजीब के गायब होने के बाद लेफ्ट विंग के छात्र संगठनों ने मीटिंग कर ये तय किया कि नजीब द्वारा विक्रांत की पिटाई की बात किसी से नहीं बताई जाएगी। सबके सामने यही बात रखी जाएगी कि नजीब को एबीवीपी के लोगों ने मारा। हॉस्टल के प्रेसीडेंट अलीमुद्दीन के मुताबिक जब से उसने ये सच्चाई सबको बतानी शुरू की है तो उसे धमकियां मिलनी शुरू हो गई हैं। उनकी पिटाई तक की गई। शिकायत करने के बाद जेएनयू प्रशासन ने उसे सुरक्षा मुहैया कराई।
हॉस्टल प्रेसिडेंट के इस चौंकाने वाले खुलासे को जेएनयू स्टूडेंट यूनियन बेबुनियाद बता रहा है। उसका कहना है कि नजीब ने हाथ उठाया कि नहीं, ये तब ही साफ हो पाएगा जब नजीब सामने आएगा। जेएनयू एसयू के अध्यक्ष मोहित पांडे के मुताबिक दूसरी घटना में जब नजीब के साथ मारपीट हुई तो उसे सबने देखा। जो लोग उसमें शामिल थे, वो सभी एबीवीपी के थे। हमारी कंप्लेंट में अलीमुद्दीन के खुद हस्ताक्षर थे। एकदम से उनका पलटना कुछ समझ नहीं आ रहा। मोहित का आरोप है कि पैसे मिलने के बाद अलीमुद्दीन ने अपना बयान बदल लिया है।
जेएनयूएसयू के प्रेसिडेंट मोहित पांडेय का कहना है कि नजीब ने हाथ उठाया कि नहीं, यह बात तब साफ होगी जब नजीब सामने आएगा। जो दूसरी घटना है, जिसमें नजीब के साथ मारपीट हुई वो सबने देखा। उसे पीटने वाले लोग एबीवीपी के थे। हमारी कंप्लेंट में अलीमुद्दीन के खुद हस्ताक्षर थे। एकदम से उनका पलटना कुछ समझ नहीं आ रहा। धमकाने वाले लोग एबीवीपी के थे। विक्रांत भी एबीवीपी के हैं। प्रशाशन उन्हें बचाना चाह रहा है। अलीमुद्दीन कंप्लेंट में खुद शामिल हैं।
इस पूरे मामले में जेएनयू प्रशासन ने चुप्पी साध रखी है। नजीब की बरामदगी पर एक लाख रुपए का ईनाम घोषित किये जाने के 24 घंटे बाद भी उसका सुराग हाथ नहीं लगा है। इस बीच दिल्ली पुलिस के स्पेश्ल सेल और क्राइम ब्रांच के तेजतर्रार अधिकारियों को नजीब की किडनैपिंग की जांच में लगाया गया है, लेकिन उनके हाथ भी कुछ नहीं लगा है। सवाल ये उठता है कि क्या वाकई नजीब को जेएनयू कैम्पस से किडनैप कर लिया गया या फिर ये मामला कुछ और है। इन सारी चीजों का खुलासा नजीब की बरामदगी के बाद ही हो पाएगा।