केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की समुद्र के बढ़ते जलस्तर पर की गई ताजा रिपोर्ट चौंकाने वाली है। आईआईटीएम पुणे के साथ मिलकर की गई इस स्टडी में स्पष्ट रूप से पाया गया है कि भारत के समुद्र का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। बढ़ते पानी से न सिर्फ समुद्र के किनारे बसे सैकड़ों शहर और आइलैंड खतरे में हैं, बल्कि अर्थव्यवस्था से लेकर तटीय इंफ्रास्ट्रक्चर तक निशाने पर आ गया है।
यह रिपोर्ट आने के बाद केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने किसी भी बड़े विनाश से बचने की रूपरेखा तैयार करनी शुरू कर दी है। बढ़ते जलस्तर का मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन है। पिघलते हुए ग्लेशियरों और गर्म होती धरती की सतह से पानी का आयतन बढ़ रहा है।
संयुक्त राष्ट्र के क्लाइमेट चेंज के पैनल ने आशंका जताई थी कि समुद्र का स्तर लगातार बढ़ रहा है। उसके बाद पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने पुणे के आईआईटीएम के साथ मिलकर भारतीय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के मूल्यांकन पर एक रिपोर्ट तैयार कराई। रिपोर्ट के मुताबिक बीते तीन दशक में पृथ्वी की सतह ज्यादा गर्म हुई इस बात की पुष्टि हुई।
रिपोर्ट बताती है कि सन 2001 से लेकर 2018 तक धरती की भीतरी और बाहरी सतह में जिस तरीके से ऊष्मा बढ़ी, वह बीते दशकों में कभी नहीं देखी गई। रिपोर्ट में पाया गया कि 1993 से लेकर सन 2017 के दौरान उत्तरी हिंद महासागर के जलस्तर में सालाना 3.3 मिलीमीटर की बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी। विशेषज्ञों का कहना है जिस तरीके से समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है उससे खतरे भी लगातार बढ़ रहे हैं।
आईआईटीएम पुणे और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की रिपोर्ट आगाह करती है कि बढ़ते तापमान की वजह से ही ग्लेशियर पिघल रहे हैं। ग्लेशियरों के पिघलने की वजह से समुद्र का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। यही नहीं नदियां कई बार अपने रास्ते को छोड़कर विनाश की ओर बढ़ जाती हैं। चमोली में हुई ग्लेशियर त्रासदी हो या केदारनाथ में हुई त्रासदी, इसके पीछे बढ़ता हुआ तापमान और जलवायु परिवर्तन ही मुख्य कारण है। रिपोर्ट बताती है कि अगर हम वक्त पर सजग नहीं हुए तो इसके गंभीर परिणाम देखने को मिलेंगे।
समुद्र के जलस्तर का बढ़ना भारत के एक तिहाई आबादी के लिए ज्यादा खतरनाक है। क्योंकि भारत की एक तिहाई आबादी समुद्र तटीय इलाकों में रहती है। लगातार बढ़ रहे समुद्र के जलस्तर और धरती की ऊष्मा से पानी के बढ़ने वाले आयतन से तटीय इलाकों के डूबने की न सिर्फ संभावनाएं हैं बल्कि वहां की जनसंख्या, अर्थव्यवस्था, तटीय इंफ्रास्ट्रक्चर को भी भारी नुकसान पहुंच सकता है।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट से जुड़े सुपर्णो कहते हैं कि अभी भी वक्त है कि हमें जलवायु के परिवर्तन को मानवीय स्तर से रोकना होगा। संयुक्त राष्ट्र के क्लाइमेट चेंज के पैनल ने आशंका जताई है कि समुद्र का स्तर 50 से 130 सेंटीमीटर तक बढ़ सकता है। अगर यह जलस्तर इतनी ही तेजी से बढ़ता रहा तो न सिर्फ भारत के तटीय इलाकों की आबादी और शहर डूब जाएंगे बल्कि बहुत बड़े नुकसान की भी आशंका है।