श्मशान पहुंचे 130 शव तो कम पड़ गईं लकड़ियां,

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बैकुंठधाम पर सोमवार को 86 शव पहुंचे। इनमें कई संक्रमित माने जा रहे हैं। इनका अंतिम संस्कार विद्युत शवदाह गृह और लकड़ी से बैकुंठधाम पर अलग से बने स्थलों पर किया गया। बैकुंठधाम पर काम करने वाले दीपू पंडित ने बताया कि इधर सामान्य शव भी बढ़े हैं। सोमवार को ऐसे 42 शवों को अंतिम संस्कार किया गया। उधर गुलाला घाट पर कुल 44 शव पहुंचे।

निशातगंज व डालीगंज से लानी पड़ी लकड़ी
बैकुंठधाम पर सामान्य शवों के अंतिम संस्कार के लिए सोमवार सुबह लकड़ी कम पड़ जाने पर अंतिम संस्कार कराने आए लोगों को निशातगंज, रहीम नगर और डालीगंज आदि से लकड़ी खरीद कर लानी पड़ी। जहां इनसे मनमाना दाम वसूला गया। बैकुंठधाम पर अंतिम संस्कार कराने वाले और लकड़ी की टाल वाले दीपू पंडित ने बताया कि अचानक शवों की संख्या बढ़ जाने से मांग के अनुरूप ऐशबाग से लकड़ी नहीं आ पा रही है। कटान बंद होने से यह समस्या हुई है। पहले 15 से 20 शव आते थे, अब 40 आ रहे हैं। घाट पर लकड़ी का रेट 550 रुपये प्रति कुंतल फिक्स है, जबकि बाहर वाले अधिक पैसा वसूल रहे हैं।
समस्या से बचाने को बनाया काउंटर
नगर आयुक्त अजय द्विवेदी ने बताया कि बैकुंठधाम पर लकड़ी का काम पंडे ही करते हैं। उसका रेट तय है। सुबह लकड़ी कम होने की जानकारी पर निरीक्षण किया गया। पंडा ने ऐशबाग से कम लकड़ी आ पाने की बात कही तो लकड़ी मंगवाई गई। किसी को कोई समस्या न हो, इसके लिए एक काउंटर भी बना दिया गया है। विद्युत शवदाह गृह के पीछे जो अतिरिक्त शवदाह स्थल संक्रमित शवों के लिए बने हैं, वहां लकड़ी की कमी नहीं है। वहां नगर निगम खुद लकड़ी देता है।

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