Genre: ड्रामा
Director: लीना यादव
क्रिटिक रेटिंग | 3 /5 |
स्टार कास्ट | राधिका आप्टे, तनिष्ठा चटर्जी , सुरवीन चावला, लहर खान, आदिल हुसैन |
डायरेक्टर | लीना यादव |
प्रोड्यूसर | अजय देवगन |
संगीत | हितेश सोनिक |
जॉनर | ड्रामा |
बहुत ही सवेदनशील मुद्दों और कुरीतियों पर कई बार अलग अलग समय पर फिल्में बनी हैं, इस बार भी लीना यादव ने अपनी फिल्म के माध्यम से कुछ ऐसे ही मुद्दों की तरफ ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की है.
कहानी…
यह कहानी कच्छ के इलाके में सम्बंधित है जहां तीन सहेलियां रानी (तनिष्ठा चटर्जी) , लज्जो (राधिका आप्टे) और बिजली (सुरवीन चावला) रहते हैं. रानी और लज्जो एक साथ गाँव में ही लघु उद्योग में काम करती हैं और बिजली गाँव में नाच गाना करके गुजर बसर करती है. रानी की जिन्दगी में पति की एक्सीडेंट की वजह से मौत हो गयी थी, और सिर्फ उसके घर में एक बूढी माँ और बेटा गुलाब रहता है. वहीँ लज्जो का पति मनोज ये सोचता है की उसकी पत्नी एक बाँझ है , जो बच्चे पैदा नहीं कर पाती. रानी अपने बेटे गुलाब की शादी पास के गाँव की लड़की जानकी(लहर खान ) से कराती है . कहानी में कई सारे उतार चढ़ाव तब आते हैं जब रानी अपनी दोनों दोस्तों के लज्जो और बिजली के साथ बातचीत करती है. गुलाब को जानकी पसंद नहीं आती, गाँव के मनचलों का भी एक अलग रवैया होता है. आखिरकार इस कहानी को क्या अंजाम मिलता है , ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.
डायरेक्शन…
फिल्म का डायरेक्शन अच्छा है और लोकेशंस भी सुन्दर है , एक तरफ दिन और दोपहर के समय को दर्शाना तो वहीँ रात के अँधेरे में होने वाली बातों का फिल्मांकन भी अच्छे तरह से किया गया है. और सिनेमेटोग्राफी कमाल की है. फिल्म की राइटिंग में एक बात का ख्याल रखा गया है की महिलाओं के प्रति सम्मान की भावना को रूरल और शहरी इलाको तक एक साथ सही ढंग से पहुचाया जा सके. फिल्म की लंबाई भी दो घंटे से कम है , जो इसके लिए एक पॉजिटिव साईन भी है.