सामाजिक कार्यकर्ता सुमन सिंह रावत सोमवार को सुबह 11 बजे से बैकुंठ धाम पर रिश्तेदार केशव के साथ दाह संस्कार के लिए इंतजार करती रहीं। आठ घंटे तक चले हंगामे के बाद अंतत: खुद ही लकड़ी मंगवाकर दाह संस्कार करवाना पड़ा। सुमन रावत का आरोप है कि जब उनके रिश्तेदार का शव वहां पहुंचा तो एंबुलेंस, लकड़ी, पंडित, सफाई करवाने समेत 20 हजार रुपये का खर्च बताया गया। नियमानुसार किया जाए तो महज 3800 रुपये में दाह संस्कार हो जाता है।
नगर आयुक्त अजय द्विवेदी का कहना है कि बैकुंठधाम पर लकड़ी का काम पंडे ही करते हैं। उसका रेट तय है। सुबह लकड़ी कम होने की जानकारी पर निरीक्षण किया गया। पंडा ने ऐशबाग से कम लकड़ी आ पाने की बात कही तो लकड़ी मंगवाई गई। किसी को कोई समस्या न हो, इसके लिए एक काउंटर भी बना दिया गया है। विद्युत शवदाह गृह के पीछे जो अतिरिक्त शवदाह स्थल संक्रमित शवों के लिए बने हैं, वहां लकड़ी की कमी नहीं है। वहां नगर निगम खुद लकड़ी देता है।