बीजेपी के नेता और बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर अब सेना में लेफ्टिनेंट बन गए हैं. सेना प्रमुख जनरल सुहाग ने अनुराग ठाकुर को खुद टेरिटोरियल आर्मी में शामिल किया. अनुराग संसद सत्र के बीच बाकायदा आर्मी की ट्रेनिंग भी लेंगे.
क्या देश में टेरिटोरिअल आर्मी के लिए कोई आवश्यक प्रावधान होना चाहिए ? क्या कोई ऐसा नियम बनाना चाहिए जिससे यह आवश्यक हो की सभी लोग इस आर्मी में जुड़े!
आइये जानते हैं इस टेरिटोरिअल आर्मी के विषय में !
टेरिटोरिअल आर्मी का गठन 1920 में अंग्रेजो के काल में हुआ था ! भारतियों के लिए द इंडियन टेरिटोरिअल फ़ोर्स का गठन किया गया ! देश की आज़ादी के बाद भारत के प्रथम गवर्नर सी राजगोपालचारी द्वारा इसको 9 अक्टूबर 1949 को अधिकारिक मान्यता मिली !
क्या है ये
टेरिटोरिअल आर्मी (प्रादेशिक सेना) नियमित सेना का हिस्सा है और इसकी वर्तमान भूमिका में इसकी मदद देश की सुरक्षा के लिए स्थिर कर्तव्यों से नियमित रूप से सेना को राहत देने और प्राकृतिक आपदाओं और स्थितियों में आवश्यक सेवाओं के रखरखाव के साथ निपटने में है ! अगर साफ़ लफ्जों में कहा जाए तो आकस्मिक स्थितियों में इसका सहयोग लिया जा सकता है !
वर्तनाम में इसमें लगभग चालीस हज़ार सदस्य हैं ! यह आर्मी देश के कई मुख्य युद्धों में शामिल रही है !
सीधे लफ्जों में अगर कहा जाए प्रादेशिक सेना एक स्वैच्छिक पार्टटाईम नागरिक सेवा है। नियमित भारतीय सेना के बाद यह हमारी रक्षापंक्ति की दूसरी सेना है। यह भारत के आम नागरिकों के लिए सेना को शौकिया अपनाने का जरिया है। प्रादेशिक सेना के लिए यह अवधारणा काम करती है कि युद्ध के समय तैनाती के लिए इसका उपयोग हो सकेगा। नियमित सेना के संसाधनों के पूरक के रूप में समाज के हर क्षेत्र से इच्छुक, अनुशासित व समर्पित नागरिकों को लेकर, कम लागत वाली इस सेना की तैयारी होती है। प्रादेशिक सेना में शामिल होने वाले नागरिकों को थोड़े समय के लिए कड़ा प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि वह सक्षम सैनिक बन सकें।
कार्य
प्रादेशिक सेना के कार्य निम्नलिखित हैं :
- (१) नियमित सेना को स्थैतिक (static) कर्तव्यों से मुक्त करना और आवश्यकता पड़ने पर सिविल प्रशासन की सहायता करना।
- (२) समुद्रतट की रक्षा और हवामार यूनिटों की व्यवस्था करना।
- (३) आवश्यकता होने पर नियमित सेना के लिए यूनिटों की व्यवस्था करना।
प्रादेशिक सेना के कार्मिकों को प्रशिक्षण की अवधि में और आह्वान करने पर, नियमित सेना के तदनुरूपी पद का वेतन और भत्ता दिया जाता है। असैनिक नियोक्ता को अनिवार्य रूप से प्रादेशिक सेना से, या उसके प्रशिक्षण से, निवृत्त सदस्य को सिविलियन पद पर पुन: नियुक्त करना आवश्यक होता है। प्रादेशिक सेना के कार्मिकों को कठिन परिश्रम और सराहनीय कार्यों में प्रोत्साहित करने के लिए भविष्य में राष्ट्रीय रक्षा सेना के सैनिक विभाग की यथार्थ रिक्तियों के प्रतिशत पद उनके लिए आरक्षित किए जाएँगे। राष्ट्रीय रक्षा सेना में सफलतापूर्वक प्रशिक्षण क्रम पूरा करने के बाद उन्हें सेना में नियमित कार्यभार दिया जा सकता है।
कैसे जुड़ें
इसमें देश का कोई भी पुरुष नागरिक शामिल हो सकता है ! पर यह आवश्यक है की वह सेना को छोड़कर किसी अन्य तरीके से आय अर्जित कर रहा हो !
आयु सीमा : 18 से 42 वर्ष।
शैक्षणिक योग्यता : स्नातक।
आवेदन की अंतिम तिथि : 15 सितंबर-08।
आवेदन कहाँ करें : अतिरिक्त महानिदेशक, प्रादेशिक सेना, सेना मुख्यालय, एल ब्लॉक, नई दिल्ली-01।
नागरिक पुरुष आवेदक की स्क्रीनिंग प्रीलिमिनरी इंटरव्यू बोर्ड (पीआईबी) विभिन्न टीए ग्रुप हैडक्वार्टर्स करते हैं। अपनी सारी जानकारी पीआई के सफल कैंडीडेट को देनी होती है। इसमें आपको केंद्र सरकार, अर्ध सरकारी, प्राइवेट फर्म, अपने व्यवसाय की सूचना देनी पड़ती है। यहां के सफल उम्मीदवार को सर्विस सलेक्शन बोर्ड (एसएसबी) व मैडीकल की स्क्रीनिंग पार करनी होती है। पूर्व सैन्य अफसरों की स्क्रीनिंग आर्मी हैडक्वार्टर सलैक्शन बोर्ड द्वारा होती है। सफल उम्मीदवार को केवल मैडीकल बोर्ड की प्रक्रिया से गुजरना होता है।
ट्रेनिंग की प्रक्रिया
बटालियन मिलने के बाद तुरंत एक माह की ‘रिक्रूट ट्रेनिंग’ दी जाती है। कमीशन प्राप्त होने के बाद ‘पोस्ट कमीशन ट्रेनिंग’ से पहले 3 माह की ‘बेसिक मिलिट्री ट्रेनिंग’ मिलती है। यह प्रशिक्षण ‘टीए ट्रेनिंग स्कूल’ में दिया जाता है। ‘बेसिक मिलिट्री ट्रेनिंग’ के बाद 3 माह की ‘पोस्ट कमीशन ट्रेनिंग’ दी जाती है। बाद के वर्षों में 2 माह का वार्षिक ‘ट्रेनिंग कैंप’ लगता है।