उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के भीतर मचे घमासान के बीच बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह गुरूवार को इटावा में रैली कर रहे हैं. इटावा देश के सबसे बड़े सियासी यादव परिवार का गृह जिला है. इटावा और उसके आसपास की विधानसभा सीटों पर मुलायम सिंह यादव, उनके परिवार के सदस्यों या उनके करीबियों की जबरदस्त पकड़ है. ऐसे में यहां हो रही अमित शाह की संकल्प महारैली के क्या मायने हो सकते हैं.
समाजवादी पार्टी के भीतर पिछले कुछ दिनों से सत्ता को लेकर कलह मची है. सीएम अखिलेश यादव की सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव के बीच सुलह की तमाम कोशिशें नाकाम हो गई हैं. इटावा रैली के जरिये अमित शाह की अगुवाई में बीजेपी इस मौके का पूरा फायदा उठाने की कोशिश करेगी.
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बीजेपी ने इटावा में बीएसपी के दबदबे को मात देने के लिए भी काट खोज ली है. ब्रजेश पाठक को इटावा में अमित शाह की संकल्प रैली के लिए भीड़ जुटाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. बीएसपी के पूर्व सांसद और ब्राह्मण नेता ब्रजेश पाठक को मायावती की पार्टी से निकाले जाने के बाद बीजेपी ने हाथोंहाथ लिया था. बीएसपी से उन्नाव के सांसद रहे ब्रजेश पाठक की रणनीति से सोशल इंजीनियरिंग पर असर पड़ेगा. इससे बीजेपी को फायदा होने की उम्मीद है.
शाह की रैली के जरिये बीजेपी की नज़र केवल इटावा ही नहीं बल्कि आसपास की दस सीटों- जैसे भरथना, जसवंतनगर, औरैया, दिबियापुर, बिधूना, कानपुर देहात की सिकंदरा, मैनपुरी जिले की मैनपुरी और करहल, फिरोजाबाद जिले की सिरसागंज पर है.