भारत ने पाकिस्तान को ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ या एमएफन का दर्जा वर्ष 1996 में दिया था, जबकि पाकिस्तान ने अब तक ऐसा नहीं किया है. एमएफएन का दर्जा छिनने से पाक को काफी नुकसान होगा।
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पीएम मोदी ने पाकिस्तान के साथ व्यापार को सीमित करने और मोस्ट फेवर्ड नेशन के दर्जे की समीक्षा के लिए 29 सितंबर को मीटिंग बुलाई है। मीटिंग विदेश मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों की मौजूदगी में होगी। तत्कालीन समय में भारत और पाकिस्तान के बीच लगभग 2.8 बिलियन डॉलर का कारोबार होता है। इसमें भारत से होने वाले निर्यात की हिस्सेदारी लगभग 2.4 बिलियन डॉलर है। जबकि पाकिस्तान से केवल 0.4 बिलियन डॉलर का आयात होता है।
जानकारों के मुताबिक पाकिस्तान से कारोबारी रिश्ते सीमित करने का असर भारतीय उद्योगों पर भी होगा। लेकिन ऐसा करने से पाकिस्तान का व्यापार अधिक प्रभावित होगा। विशेषज्ञों की सलाह है कि पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए सरकार को घरेलू उद्योगों को इस विकल्प के इस्तेमाल के लिए तैयार करना चाहिए। जानकारों के मुताबिक पाकिस्तान के कई उद्योग बंद होने के कगार पर आ सकते हैं। खासतौर पर कॉटन का निर्यात बंद होने की स्थिति में पाकिस्तान का टेक्सटाइल उद्योग बुरी स्थिति में आ जाएगा। गौरतलब है कि भारत द्वारा सिंधु समझौता तोड़ने का पहले ही संकेत मिल चुका है। कल ही पीएम मोदी ने कहा था कि खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते हैं। ऐसे में अब भारत की ओर से पाकिस्तान पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का मन बना लिया गया है। इस स्थिति में पाकिस्तान की कमर टूटनी निश्चित है। जहां पानी रुकने से पाकिस्तान की खेती तबाह हो जाएगी। वहीं व्यापार रुकने से कारोबार प्रभावित हो जाएगा।
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पाकिस्तान से एमएफएन का दर्जा वापस लेने का संकेत कुछ दिन पहले केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल ने भी दिया था। उनका कहना था कि पाकिस्तान से एमएफएन का दर्जा वापस लेने के लिए पहले से ही भारत विचार कर रहा है। इसके अलावा उन्होंने सिंधु जल समझौता खत्म करने का भी संकेत दिया था। यह पहला मौका है जब भारत पाकिस्तान को मिले एमएफएन दर्जेे को खत्म करने पर विचार कर रहा है। हालांकि पाकिस्तान ने एेसा कोई भी दर्जा भारत को आजतक नहीं दिया है।