यूपी सिनेमा एग्जीबिटर्स फेडरेशन के अध्यक्ष आशीष अग्रवाल बताते हैं कि प्रकाश, अलंकार, आनंद, प्रभात, नाज, जय भारत, गुलाब, प्रतिभा, अंजुमन सहित राजधानी में 16 सिंगल स्क्रीन थिएटर रहे हैं। इनमें ज्यादातर धीरे-धीरे बंद हो गए। जो बचे हैं, वहां भी ताले लग रहे हैं। आनंद सिनेमा को नया रूप दिया गया, पर वह भी बंद हो गया।प्रतिभा, नॉवेल्टी अलीगंज में चल रहे थे, पर अब वहां भी ताले लटके हुए हैं। साहू सिनेमा पीवीआर को दिया गया है। पूरे प्रदेश की बात करें तो मई, 2021 के आंकड़ों के अनुसार कुल 450 सिंगल स्क्रीन थिएटर में से करीब 70 ही ऑपरेट हो रहे हैं।
बंद हो चले सिनेमाघरों को फिल्म डवलपमेंट फंड(एफडीएफ) से मदद देकर खड़ा करने का प्रस्ताव भेजा गया है, जिस पर मुहर लगने पर इन सिनेमाघरों को संजीवनी मिल सकती है। बहरहाल प्रस्ताव पर शासन के आला अधिकारी मंथन कर रहे हैं। हालांकि, अधिकारी अभी आधिकारिक बयान देने से बच रहे हैं। पर, सूत्र बताते हैं कि महीने भर के भीतर फैसला हो सकता है।
फिल्म डवलपमेंट फंड एफडीएफ के लिए सिनेमाप्रेमियों के टिकट से पैसा लिया जाता है। मसलन, हर टिकट पर पचास पैसे लिए जाते रहे हैं। आशीष अग्रवाल बताते हैं कि वर्षों से यह चार्ज लिया जा रहा है, लिहाजा इस मद में करोड़ों रुपये जमा हो चुके हैं। इसी मद से फिल्मों की शूटिंग करने वालों को सब्सिडी दी जाती है। इससे ही सिंगल स्क्रीन थिएटरों के भाग्य को बदला जा सकता है।
सिंगल स्क्रीन थिएटर को पुनर्जीवित करने के लिए पहले जो प्लान बनाया गया था, उसके मुताबिक थिएटर की जगह मल्टीप्लेक्स बनाने पर पांच साल तक टैक्स में छूट मिलती थी। पर, वर्ष 2020 में इसे अचानक बंद कर दिया गया।