महाराष्ट्र की एक विशेष अदालत ने नाबालिग बेटी का बालात्कार करने के मामले में पिता को 25 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही विशेष कोर्ट ने न्याय मांगने के लिए नाबालिग की दादी की सराहना भी की है। विशेष न्यायधीश भारती केले ने पिछले सप्ताह हुई सुनवाई के दौरान आरोपी को पाक्सो एक्ट के तहत दोषी पाया था। इस मामले में विस्तृत आदेश मंगलवार को उपलब्ध कराया गया।
इस मामले में सजा सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि न्याय मांगने के लिए पीड़िता की दादी की सराहना की जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि उन्होंने इस बात की परवाह किए बिना कि इस उम्र में उसे आरोपी के बच्चों की देखभाल करनी पड़ेगी, न्याय की गुहार लगाई।
जानकारी के अनुसार, इस मामले में पीड़िता की दादी ने जानकारी होने के बाद शिकायत दर्ज कराई थी। पीडिता अपनी दादी-बाबा, पिता और चाचा-चाची और दो भाई-बहनों के साथ रहती थी। उसकी मां ने सात साल पहले पारिवारिक विवादों के कारण आरोपी पिता के साथ रहना छोड़ दिया था।
इसके साथ ही न्यायाधीश ने कहा कि एक पिता सुरक्षा, विश्वास और प्यार की नींव रखता है। वह अपनी बेटी के जीवन को सुरक्षित बनाता है, लेकिन पीड़िता के पिता ने खुद उसे असहनीय पीड़ा दी है। उन्होंने कहा कि बचपन की पीड़ा उसे जीवन भर के लिए कष्ट देगी। इस दौरान कोर्ट ने जोर देकर कहा कि आरोपी अधिक उदारता का पात्र नहीं है, क्योंकि उसके द्वारा किया गया अपराध जघन्य है जो पीड़िता यानी उसकी बेटी के जीवन को पूरी तरह से प्रभावित करता है।
इस दौरान आरोपी के वकील ने अदालत में उसका पक्ष रखते हुए कहा कि आरोपी ने अपनी बेटी को लड़कों के साथ खेलने और बात करने से रोका था। इसलिए, उसके और आरोपी के बीच अक्सर झगड़ा होता था। इसी को लेकर मामले में उसे फंसाया गया है।