उत्तर प्रदेश लखनऊ– आर०टी०आई० कार्यकर्ताओ से बात कर के पता चला की सूचना पाना आसान नही है। नियम के अनुसार जिस विभाग से सूचना मांगी जाती है उसे सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा6 के अधीन 30 दिनों के भीतर सूचना देनी होती है यदि विभाग में कोई ज़रूरी काम है तो प्रार्थी को पत्राचार कर 15 दिन का अतिरिक्त समय लिया जाता है। अगर तभी सूचना नही मिलती है तो धारा19 उपखंड 1 के अधीन अपीलीय जन सूचना अधिकारी को अपील की जाती है और 30 दिनों के भीतर मांगी गई सूचना प्रार्थी को देनी होती है।
यदि तब भी सूचना नही मिलती है तो नियमा अनुसार राज्य सूचना आयोग में धारा19 खण्ड (2) के अधीन जन सूचना अधिकारी व अपीलीय जन सूचना अधिकारी के विरुद्ध परिवाद दाखिल किया जाता है।
आर०टी०आई० कार्यकर्ताओ ने सुनाई आप बीती…
कार्यकर्ताओ ने कहा कि सूचना पाना बहुत कठिन है। राज्य सूचना आयोग उत्तर प्रदेश ने सूचना का अधिकार अधिनियम की धज्जियां उड़ा कर रख दी है। जानने का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद19(1)क, सूचना पाने का मूल अधिकार है। राज्य सूचना आयोग ने मूल अधिकारको का हनन करते हुए कानून की भी धज्जियां उड़ा रही है। जन सूचना अधिकारी व अपीलीय जन सूचना अधिकारी से सूचना पाने में करीब करीब 2 से 3 महीने का समय लगता है उसके बाद जब राज्य सूचना आयोग में परिवाद दाखिल किया जाता है तो 6 से 10 महीने में तारीख मिलती है । और नाही कोई राज्य सूचना आयोग द्वारा प्रार्थी को कोई पत्राचार किया जाता है। राज्य सूचना आयोग उतर प्रदेश सवालो के घेरे में है अब ये देखना है कि स्टेट चीफ इन्फॉर्मेशन कमिश्नर जावेद उस्मानी क्या कहते है!