92 साल के बीमार दोस्त की मिली खबर तो दौड़े चले आए कलियुग के कृष्ण

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दुनिया में दोस्ती का रिश्ता सबसे मजबूत माना जाता है। मित्रता के कई अनूठे किस्से भी अतीत के पन्नों में इस रिश्ते के महत्व को बया करते हैं। ऐसी ही अनूठी दोस्ती का नजारा जिला अस्पताल बागेश्वर में देखने को मिला। इस अनूठी मित्रता के दोनों पात्र 90 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्ग थे।

एक मित्र बीमार होकर अस्पताल के बिस्तर पर लेटे थे, तो दूसरे मित्र करीब 60 किमी का सफर तय करके उनका हालचाल जानने पहुंचे थे। 10 साल बाद दोनों मित्रों की मुलाकात हुई तो भावनाओं का ज्वार उमड़ पड़ा। कंपकंपाते होंठों से अल्फाज नहीं निकल पा रहे थे, लेकिन आंखों से बहती आंसुओं की धार उनकी अनूठी मित्रता की सारी कहानी बया कर रही थी। 

कपकोट के दूरस्थ गांव चुचेर के गिजमौटा तोक निवासी प्रयाग दत्त पाठक और बहुली निवासी हिम्मत सिंह पैरा रेजीमेंट में तैनात थे। एक ही रेजीमेंट में तैनाती और एक ही जिले से होने के चलते दोनों में मित्रता हो गई। मित्रता ऐसी कि सेवानिवृत्त होने के बाद भी दोस्ती जारी रही। सेवानिवृत्त होने के बाद भी दोनों अक्सर एक दूसरे से मिलते रहते थे लेकिन बढ़ती उम्र के चलते पिछले 10 वर्षों से दोनों की मुलाकात नहीं हो सकी थी।

इस बीच हिम्मत सिंह का स्वास्थ्य खराब हो गया, उन्हें इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। अपने मित्र के बीमार होने की सूचना जब प्रयाग दत्त पाठक को मिली तो वह अपने को रोक नहीं सके। बुधवार को अपने बेटे शिक्षक नवीन चंद्र पाठक के साथ वे अपने मित्र का हालचाल जानने निकल पड़े। घर से मोटर मार्ग की दूरी पांच किमी थी, जिसे उन्होंने डोली पर बैठकर तय किया।

एक दूसरे का हाथ थामकर बहाते रहे आंसू

लाथी से बागेश्वर वह टैक्सी की मदद से पहुंचे और जिला अस्पताल जाकर अपने मित्र की सेहत की जानकारी ली। अस्पताल में काफी देर तक दोनों मित्र एक दूसरे का हाथ थामकर आंसू बहाते रहे। बाद में मित्रों के बीच कंपकंपाती आवाज में सेना, युद्ध से लेकर, सेहत और घर-परिवार की ढेर सारी बातें हुई। 

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