भारत की नौ सेना को मिलेगी नई ताकत, नेवी में शामिल हुई पनडुब्बी ‘खांदेरी

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पानी के अंदर या सतह पर तारपीडो के साथ-साथ पोत-रोधी मिसाइलों से वार करने और रडार से बच निकलने की उत्कृष्ट क्षमता से लैस स्कॉर्पीन श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी ‘खान्देरी’ को आज भारतीय नेवी में शामिल किया गया है. मुंबई में आज इसे समंदर में उतार दिया गया है.

खांदेरी पनडुब्बी का निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने फ्रांस के साथ मिलकर किया है. इसका नाम छत्रपति शिवाजी महाराज के किले खांदेरी के नाम पर रखा गया है. मुंबई में आज इसे समंदर में उतार दिया गया, लेकिन अभी एक साल तक साल खांदेरी को बेहद कड़े परीक्षणों से गुजरना होगा.

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दुश्मन का पता लगते ही खांदेरी उस पर गाइडेड हथियारों से हमला कर सकती है.इसका मतलब ये हुआ कि इसका निशाना बेहद अचूक है. ये पानी के नीचे और पानी की सतह, दोनों ही जगहों से हमला कर सकती है. इससे टॉरपीडो के साथ-साथ एंटी शिप मिसाइलें भी फायर की जा सकती हैं. इसकी राडार की पहुंच से बाहर रहकर हमला करने की तकनीक इसे बेहद खतरनाक बना देती है

भारतीय नौसेना की पनडुब्बी शाखा को इस साल 8 दिसंबर को 50 साल पूरे हो जाएंगे. भारतीय नौसेना की पनडुब्बी शाखा के स्थापना की याद में हर साल पनडुब्बी दिवस मनाया जाता है. 8 दिसंबर, 1967 को पहली पनडुब्बी – प्राचीन आईएनएस कल्वारी – को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था. पहली भारत-निर्मित पनडुब्बी आईएनएस शाल्की के साथ भारत 7 फरवरी, 1992 को पनडुब्बी बनाने वाले देशों के विशेष समूह में शामिल हुआ था.

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