मंदिर में पूजन के बाद शाम 4 बजे पालकी परंपरागत मार्गों से शिप्रा के तट रामघाट के लिए रवाना होगी। घाट पर शिप्रा के जल से बाबा महाकाल का अभिषेक किया जाएगा। जिसके बाद पालकी मंदिर लौट जाएगी। बता दें इस बार श्रावण मास में चार और भाद्रपद मास में भगवान की दो सवारी निकलेगी।