शराब जैसी चीजें जीएसटी के दायरे से बाहर हैं फिर भी उनकी कीमतों में अतंर आ रहा है ऐसा क्यों? चलिए कोशिश करते हैं इन्हें जानने की…
जीएसटी लागू हो चुका है और लोगों की सुबह आम ही रही है. मिड नाइट सेशन के दौरान जीएसटी का फुल फॉर्म मोदी जी ने गुड एंड सिंपल टैक्स रख दिया. अब हो सकता है कि कुछ मंत्री और कन्फ्यूज हो जाएं. हालांकि, कन्फ्यूजन फुल फॉर्म से ज्यादा इस टैक्स सिस्टम को समझने का है.
इसी पशोपेश में एक बात और है जो कुछ लोगों को परेशान कर रही है. बात ये है कि शराब जिसे जीएसटी के दायरे से बाहर है वो भी जीएसटी लगने के बाद महंगी हो गई है. (जो नई शराब बनाई जाएगी वो, जो अभी स्टॉक पहले से मौजूद है उसपर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.)ऑल इंडिया ब्रिवर्स असोसिएशन (AIBA) की डायरेक्टर जनरल शोभना रॉय की मानें तो भले ही शराब जीएसटी के दायरे से बाहर है, लेकिन उसका रॉ मटेरियल और इनपुट कॉस्ट बढ़ जाएगी जिससे शराब की कीमत बढ़ेगी.
सबसे ज्यादा असर बियर पर पड़ेगा जिसकी इनपुट कॉस्ट कम से कम 15% बढ़ेगी.
क्यों बढ़ेगा?
ग्लास बॉटल को 18% टैक्स स्लैब में रखा गया है. जो पहले 15-16% टैक्स स्लैब में थी. जो खास तरीके का गुड़ शराब बनाने के लिए लगता है वो 28% टैक्स स्लैब में है. ट्रांसपोर्ट फ्रेट टैक्स बढ़कर 5% हो गया है ये पहले 4.5% ही था.
ऐसा नहीं है कि एकदम से ये दाम बढ़ जाएंगे, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि इसके लिए बहुत दिन लगेंगे. ये पूरा खेल डिमांड का है. अगर स्टॉक देर से खत्म होता है तो इनपुट कॉस्ट का असर थोड़ा बाद में देखने को मिलेगा और अगर स्टॉक जल्दी खत्म होता है तो ये असर जल्दी दिखेगा. वैसे भी रेस्त्रां में बैठकर शराब पीना अब से महंगा हो ही गया है और इस गणित को देखें तो दुकान से शराब खरीदना भी.कुछ ऐसा ही हाल पेट्रोल, डीजल और उन सभी चीजों का होगा जो जीएसटी के दायरे से बाहर हैं. फर्क उन्हें पड़ेगा जो या तो जीएसटी के दायरे से बाहर चीजों का इस्तेमाल रॉ मटेरियल के तौर पर करते हैं या फिर उन लोगों को जो इन्हें प्रोड्यूस करते हैं. इसलिए अगर आप भी उनमें से एक हैं तो आपके लिए जीएसटी थोड़ा पेचीदा जरूर है.