लखनऊ- उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में निजी अस्पताल खेल रहे है मोत का खेल ली एक बच्चे की जान गोमती नगर के मेयो अस्पताल में देखने को मिला। गोमती नगर के ही एक दंपति ने 3 दिन पहले डेंगू की चपेट में आए अपने छह साल के बच्चे कृष्णा को इस निजी अस्पताल में इसलिए भर्ती करवाया था कि उसे बेहतर इलाज मिल सके। अस्पताल ने भी मोटी रकम लेकर गुरूवार को उसे आईसीयू में दाखिल किया था। शुक्रवार के बाद डाक्टरों ने बच्चे को आईसीयू में होने का हवाला देकर बच्चे को मां—बाप से दूसर रखने का फैसला किया। लेकिन जब दो दिन बीत गए तो दंपति को अस्पताल के डॉक्टरों की बात का भरोसा नहीं रहा। उन्होंने जबर्दस्ती आईसीयू में जाकर देखा। मौके से डाक्टर गायब था और बच्चे का शरीर नीला पड़ चुका था। बच्चे की नब्ज बंद थी।
दरअसल कृष्णा के मां—बाप का शक सही था। अस्पताल के रिकार्ड में कृष्णा इलाज के नाम पर हर घंटे नया बिल जोड़ा जा रहा था, लेकिन उसकी हालत कैसी है ये कोई बताने को तैयार नहीं था। वास्तविकता सामने आने के साथ ही अस्पताल के तमाम डाक्टर मौके से भाग निकले। पीड़ित परिजनों की हंगामे के बाद पुलिस को बुलाकर स्थिति को काबू में किया गया।
आपको जानकर हैरानी होगी कि मेयो अस्पताल लखनऊ जैसे शहर के उन चुनिन्दा अस्पतालों में आता है जहां लोग बेहतर इलाज के लिए कोई भी कीमत अदा करने को तैयार रहते हैं। ऐसे अस्पताल जो मनमानी फीस तो बसूलते ही है अपने मरीजों के साथ चंद नोटों के लिए धोखेबाजी भी करते हैं।
सूत्रों की माने तो मेयो अस्पताल के मालिकानों के रिश्ते सत्ता में बैठे बड़े सफेदपोशों से हैं। जिस वजह से पहले भी कई बार अस्पताल इस तरह की धोखेबाजी करके बचता रहा है। न तो सरकारी अधिकारियों ने कभी अस्पताल की कार्य प्रणाली का निरीक्षण करने का प्रयास किया और न ही धोखे का शिकार हुए किसी मरीज के परिजन उनकी पहुंच और ताकत के आगे अपनी आवाज को बुलन्द कर पाए।
इस पूरे मामले में एक बड़ी बात ये भी रही कि जब अस्पताल में हुए वाकये को लेकर मीडिया ने लखनऊ के डीएम सतेन्द्र सिंह से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो आधिकारिक नंबर बन्द मिला। वहीं एसएसपी मंजिल सैनी के पीआरओ ने फोन उठाकर मैडम के व्यस्त होने का हवाला देकर बाद में बात करने को कहा उमीद है कि इस गम्भीर मामले को हाई कोर्ट जल्द से जल्द अपने संज्ञान में ले।