लगातार गिर रहा है दिल्ली का भूजल स्तर, खत्म हो रही है जमीन की नमी

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हम सबके कदमों तले संकट गहराता जा रहा है, लेकिन हम बेफिक्र हैं। वजह साफ होने के बावजूद ख्याल उनको भी नहीं, जिन पर इसे बचाने की जिम्मेदारी है। नतीजन जमीन के अंदर का पानी हर दिन 0.05 सेमी की दर से नीचे जा रहा है। जमीन की नमी खत्म होने से पीने का पानी पहुंच से दूर होगा। हम चाहे जितने बीज बिखेर दें, उसकी देखभाल कर लें, नन्हा अंकुर कभी जमीन से बाहर नहीं आएगा। भूजल संकट से खाने पर भी संकट होगा और पीने के पानी पर भी।

केंद्रीय भूजल आयोग (सीजीडब्ल्यूबी) की नवीनतम रिपोर्ट में बताया गया कि दिल्ली हर साल औसतन 0.2 मीटर भूजल खो रही है। इस लिहाज से हर दिन दिल्ली की जमीन के नीचे का पानी 0.05 सेंटीमीटर नीचे जा रहा है। रिपोर्ट बताती है कि यहां के करीब 80 फीसदी स्त्रोत क्रिटिकल या सेमी क्रिटिकल स्थिति में आ चुके हैं। मतलब, इन इलाकों में भूजल का दोहन गंभीर स्तर तक किया जा रहा है। उधर, इंडिया डाटा पोर्टल की एक रिपोर्ट के हिसाब से देश में बीते 16 साल में सेमी क्रिटिकल जोन में करीब 50 फीसदी तक इजाफा हुआ है। साल 2004 से 2020 के बीच इनकी संख्या 550 से बढ़कर 1057 तक पहुंच गई है। वहीं, इसी अवधि में सुरक्षित जलस्त्रोत की संख्या में केवल 10 फीसदी ही बढ़ी है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि दिल्ली का 89 फीसदी हिस्सा कछारी है। भूजल का ज्यादा दोहन नलकूपों के माध्यम से किया जा रहा है। देश में जिन चार राज्यों में सबसे अधिक भूजल का दोहन हो रहा है, उसमें दिल्ली भी शामिल है। दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर शशांक बताते हैं कि भूजल स्तर दिल्ली के लगभग हर स्थान पर दो से चार मीटर तक गिरा है, लेकिन कुछ हिस्से यमुना बाढ़ के मैदान, मध्य दिल्ली, नजफगढ़ के पास दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पश्चिम में वृद्धि भी हुई है। जेएनयू और संजय वन जैसे क्षेत्रों की बात करें तो यहां अच्छा भूजल पुनर्भरण हुआ, लेकिन इसके ठीक बगल में हौज खास और ग्रेटर कैलाश ने क्षमता से ज्यादा भूजल का दोहन किया है।

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