अदालतें राज्य सरकार को आरक्षण प्रदान करने का नहीं जारी कर सकतीं निर्देश,

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जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का जिक्र करते हुए कहा है, ‘अदालत द्वारा परमादेश जारी कर राज्य सरकार को आरक्षण प्रदान करने का निर्देश नहीं दे सकती। राज्य सरकार के पास इस तरह का प्रावधान करने की शक्ति है, लेकिन अदालतें राज्य को ऐसा प्रावधान करने के लिए कोई परमादेश जारी नहीं कर सकती हैं।’पीठ ने वर्ष 2010 और 2020 के बीच दिए चार फैसलों का हवाला दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि विभिन्न कारकों के आधार पर विभिन्न वर्गों के लिए आरक्षण प्रदान करने की शक्ति राज्य के पास है।

अदालत, राज्य से नागरिकों के किसी विशेष वर्ग के लिए कोटा लाभ निर्धारित करने के लिए नहीं कह सकती। शीर्ष अदालत ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के वर्ष 2019 के आदेश को दरकिनार करते हुए वर्ष 2020 में दिए उस फैसले पर भरोसा किया जिसमें कहा गया था कि न केवल एक अदालत आरक्षण प्रदान करने के लिए एक निर्देश पारित नहीं कर सकती है बल्कि वह  राज्यों को आरक्षण को सही ठहराने के लिए मात्रात्मक डेटा संग्रह करने के लिए भी नहीं कह सकती है। 

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