पौष पूर्णिमा पर सोमवार को पुण्य की डुबकी के साथ माघ पर्यंत स्नान-दान समेत अन्य अनुष्ठान का आरंभ होगा। माघ मास में ब्रह्म मुहूर्त में जागकर गंगा, नर्मदा, यमुना में स्नान करने से पापों का क्षय होता है। इस माह में दान-पुण्य, रोगियों, निशक्तों की सेवा करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।
स्नान, दान कर पुण्य अर्जित करने के लिए माघ का महीना बहुत ही उत्तम माना गया है। मोक्ष प्रदान करने वाला माघ स्नान, पौष पूर्णिमा से आरंभ होकर माघ पूर्णिमा को समाप्त होता है। काशी विद्वत कर्मकांड परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने बताया कि माघ मास की महिमा बताई।
कहा कि इसमें जहां कहीं भी जल हो वह गंगाजल के समान ही होता है, फिर भी प्रयाग, कुरुक्षेत्र, हरिद्वार, काशी, नासिक, उज्जैन तथा अन्य पवित्र तीर्थों और नदियों में स्नान का बड़ा महत्व है। माघ स्नान करने वाले मनुष्यों पर भगवान विष्णु प्रसन्न रहते हैं तथा उन्हें सुख-सौभाग्य, धन-संतान और मोक्ष प्रदान करते हैं।
तुलसीदास जी ने श्री रामचरित्र मानस के बालकांड में लिखा है कि माघ मकर गति रवि जब होई, तीरथपतिहिं आव सब कोई !! अर्थात माघ मास में जब सूर्य मकर राशि में आते हैं तब सब लोग तीर्थों के राजा प्रयाग के पावन संगम तट पर आते हैं।
ज्योतिषाचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि सभी मनुष्यों के लिए पवित्र नदियों के तट पर जाकर स्नान करना संभव नहीं है और कोरोना संक्रमण काल भी चल रहा है। इसलिए अपने घर में ही पवित्र नदियों के स्नान का पुण्य प्राप्त किया जा सकता है। ब्रह्म मुहूर्त में जागकर पवित्र नदियों का जल (गंगाजल लगभग सभी घरों में होता है) डालकर उससे स्नान करें।