लखनऊ। टीबी की बीमारी कोरोना से कहीं ज्यादा घातक है। देश में हर साल टीबी से करीब चार लाख लोगों की मौत हो जाती है। वहीं कोरोना से होने वाली मौत का आंकड़ा अभी भी दो लाख से कम है। इसलिए कोरोना के साथ हमें टीबी के खिलाफ भी अभियान चलाना होगा। केजीएमयू के पल्मोनरी क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में विश्व क्षय दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित गोष्ठी में विभागाध्यक्ष प्रो. वेद प्रकाश ने यह जानकारी दी। इस मौके पर उन्होंने विभाग द्वारा चिनहट के उत्तरधौना गांव को गोद लेने की घोषणा की। साथ ही टीबी से पीड़ित मरीजों को पोषक खाद्य सामग्री व मास्क भी बांटे।
डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि क्षय रोग माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया से फैलता है। इस समय देश की करीब 40 फीसदी आबादी टीबी से ग्रसित है। इस बैक्टीरिया की खोज राबर्ट कोच नामक वैज्ञानिक ने 24 मार्च 1882 में की थी। तब से इस दिन को विश्व क्षय दिवस के रूप में मनाया जाता है। विश्व के आठ देश लगभग दो तिहाई टीबी रोगियों के लिए जिम्मेदार हैं। इसमें भारत सबसे ऊपर है। टीबी संक्रमण फेफड़े के साथ ही शरीर के किसी भी अंग में फैल सकता है