नई दिल्ली पंचकुला में रुचिका गिरहोत्रा छेड़छाड़ मामले में हरियाणा के पूर्व डीजीपी शंभू प्रताप सिंह राठौड़ की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है, लेकिन जेल नहीं जाना होगा. कोर्ट का कहना है कि जो जेल काटी वह काफी है.
दरअसल, 22 दिसंबर 2009 को घटना के 19 साल के बाद निचली अदालत ने राठौड़ को धारा 354 आईपीसी (छेड़छाड़) का दोषी करार देते हुए छह महीने की कैद और 1,000 रुपये का जुर्माना की सजा सुनाई थी, जिसे हाईकोर्ट ने बढ़ाकर 18 महीने कर दिया था. राठौड ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और 11 नवंबर 2010 को सुप्रीम कोर्ट ने राठौर को सशर्त जमानत दे दी थी. दरअसल, 1990 में तत्कालीन आईजी SPS राठौड पर 14 वर्षीय रुचिका गिरहोत्रा से छेड़छाड़ आरोप लगाया गया था. 1993 में रुचिका ने खुदकुशी कर ली थी. इसी के तहत राठौर के खिलाफ मामला दर्ज हुआ और सरकार ने सीबीआई को जांच सौंप दी थी.
सुप्रीम कोर्ट
जो जेल काटी वह बहुत14 साल की रुचिका ने लगाया था छेड़छाड़ का आरोपसरकार ने इस केस की जांच सीबीआई को सौंपी थी।