200 ई पूर्व बौद्ध धर्म द्वारा सनातन धर्म के नाश के प्रयास के बाद अब फिर सनातन धर्म के नाश का प्रयास किया जा रहा है।
विशेष पिछले 70 सालों सनातन धर्म पर अनेक प्रकार से प्रहार किया जाता रहा है। सनातन धर्म के पूज्य देवी देवता का अपमान, गालियाँ और देवियो के विषय में अनर्गल लेखों की बाढ़ आ गई है।
भारत के संविधान के मूल में सनातन का बाक्य ‘सत्यमेव जयते’ मूलतः मुण्डक-उपनिषद का सर्वज्ञात मंत्र 3.1.6 है। जिसको भूल कर संविधान के अपमान के साथ सनातन का अपमान करने का षणयंत्र रचा जा रहा है।
अंग्रेजो के भारत में आने के बाद से ही सनातन का दुष्प्रचार शुरू हो गया था, जिसमें सनातन के धार्मिक ग्रंथों के मूल में बदलाव करना था और मुस्लिम और बामपंथियों द्वारा इसको आगे बढ़ाया जाता रहा है। 1947 से लेकर 1955 तक सनातन धर्म के विरुद्ध और अपमानित करने की लगभग 4500 कितावे छपवाई गई जिसके मुख्य उद्देश्य भारत के टुकड़े करना ही था, जिसमे दलित भाइयो को भड़का कर सनातन धर्म के विरुद्ध करना था।
आज एक छोटा सा दलित नेता जिग्नेश मेवाणी अपना राजनीतिक कद बढ़ाने के उद्देश्य से जयपुर के हाईकोर्ट के बाहर मनुस्मृति को जलाने का एलान कर चुका है। जिसने सनातनियो को चेतावनी दी है कि जिसमे हिम्मत है मनुस्मृति को जलाने से रोक कर दिखाये।
मनुस्मृति के मूल1600 श्लोकों के स्थान पर आज 2500 से अधिक श्लोक देखे जा सकते है। इससे सिद्ध होता हैं की मनुस्मृति में बड़े रूप में बदलाव किया गया है।
मनुस्मृति को भारत के इतिहास में 2 बार जलाकर अपमानित किया जा चूका है जिसमे 1927 में पहली बार अम्बेडकर ने और् 2015 में जवाहरलाल नेहरू विश्विद्यालय (JNU) में बामपंथियों द्वारा जलाया गया पर दोनों बार चोरी छुपे जलाया गया पर आज ऐलान करके जलाया जाना सनातन धर्म को चेतावनी देना और धर्म का विनाश करना है।
विश्व में मनु महाराज की केवल एक मूर्ति है जो जयपुर हाईकोर्ट में लगी है। केवल एक मूर्ति अन्य कोई मंदिर या कोई और संग्रहालय कँही नही है। जिग्नेश और दलित जयपुर हाईकोर्ट के बाहर मनुस्मृति जलाने के पीछे का षणयंत्र मनु महाराज की मूर्ति तोडना है।
यह सनातन धर्मं पर हमला है जिसको कोई सनातन धर्म का अनुयायी सहन नही कर सकेगा।
हिन्दुओ अपने अस्तित्व को बचाने में खड़े हो जाने का समय आ गया है। आज यदि सख्त विरोध नही किया तो कल यह कहेंगे कि आज क्षत्रिय जलाने का दिन है, आज कायस्त, आज वैश्य, आज ब्राह्मण, आज गुर्जर, आज जाट आदि आदि।