घाटी में बीएसएफ और अन्य पैरामिलिट्री फोर्स के कैंपों के आस-पास रहने वाले लोगों ने दावा किया है कि, सेना के कुछ अधिकारी उन्हें बाजार से आधे दाम पर राशन और ईधन बेच देते हैं। यह चौंकाने वाला खुलासा ऐसे समय में आया है जब बीएसएफ के 29वीं बटालियन के जवान तेज बहादुर यादव के खाने की खराब क्वालिटी को लेकर जारी विडियो से देशभर में हंगामा मचा हुआ है। टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक श्रीनगर के हमहमा स्थित बीएसएफ कैंप के आसपास रहने वाले दुकानदार, कुछ बीएसएफ अधिकारियों से नियमित आधे दाम पर राशन और ईधन खरीदते हैं। कुछ जवानों और दुकानदारों से मिली जानकारी के मुताबिक, ये अधिकारी जवानों के खाने-पीने की चीजें स्थानीय दुकानदारों को बेच देते हैं। जवानों तक सामान पहुंच ही नहीं पाता। अधिकारीयों के अपने एजेंट्स हैं जिनके माध्यम से वो जवानों के लिए आए सामान को बाजार में बेच देते हैं। एक स्थानीय ठेकेदार ने बताया कि हमें बीएसएफ अधिकारियों से आधे दाम पर पेट्रोल मिल जाते हैं, साथ ही अन्य सामान जैसे- चावल, मसाले आदि बहुत ही कम दाम पर मिल जाते हैं।
बीएसएफ कैंप के बाहर फर्नीचर की दुकान खोलकर बैठे एक दुकानदार ने बताया कि सेना में ऑनलाइन-टेंडर का कोई व्यवस्था नहीं है। सेना के जिन अधिकारियों पर फर्नीचर खरीदने की जिम्मेदारी होती है वो कमीशन लेकर हमें फर्नीचर बनाने का ठेका दे देते हैं। अधिकारी कुछ पैसे लेकर उन्हें खराब क्वालिटी का फर्नीचर बनाने को भी कह देते हैं। यह हाल सिर्फ बीएसएफ के कैंप का नहीं हैं। घाटी में मौजूद सीआरपीएफ के कैंपों का भी यही हाल है। हालांकि सेना के अधिकारियों से जब इस बारे में पूछी गया तो उन्होंने इन आरोंपो को बेबुनियाद करार दिया। घाटी में सीआरपीएफ के आईजी (प्रशासन) पद पर तैनात रहे रविदीप सिंह साही ने कहा कि अगर ऐसी किसी भी तरह की गड़बड़ी है, तो वह इसकी जांच कराएंगे। वहीं श्रीनगर में तैनात एक सीआरपीएफ के सिपाही ने भी इस तरह के दावे को सिरे से नकार दिया। सिपाही ने कहा कि, ‘हमें हमेशा समय पर बेहतरीन खाना मिलता है। साथ ही ड्यूटी खत्म होने पर रहने की भी उचित व्यवस्था की जाती है।’